लगा, जैसे मैं जा रहा हूं ... वही कद ,वही काठी, चालढाल; सब वही. टेढ़ी गर्दन, उलझे बाल, लटके गाल, खुली पेंट, ढीला कोट, बढ़ा पेट, कन्धे पर लटका ख़ाली झोला, चाल वही मस्तमौला. उंगलियों पर कुछ गिनना, गर्दन का पैण्डुलम की तरह हिलना, उचक-उचक कर चलना, बार-बार हाथ मलना ... अरे! मैं ही तो हूँ.
कई बार वह अपने को...