कुछ हफ्ते पहले श्रीमति प्रमिला वर्मा का ई-मेल द्वारा सवाल आया था -
"कई कहानियां ऐसी होती हैं। जो प्रकाशित हो जाती हैं लेकिन उनका पाठक वर्ग एक पत्रिका के लिए ही होता है । और वह कहानियां जो बहुत अच्छी होती हैं कि उसको और भी पढ़ें।ऐसी इच्छा रचनाकार की होती है। आप थोड़ा सा यह भी सोचें की अप्रकाशित कहानियां ही क्यों? प्रकाशित भी बेहतरीन कहानियों का आप चुनाव करिए। ऐसी मेरी इच्छा है और आपसे प्रार्थना है।
धन्यवाद
प्रमिला वर्मा"
प्रमिला जी की बात समझनी मुश्किल नहीं है लेकिन यह बात भी समझनी आसान है कि दो अलग पत्रिकाएं वही रचना क्यों नहीं प्रकाशित करना पसंद करती हैं. मैं बस इतना ही कहूंगी कि अच्छे लेखक किसी एक पत्रिका के लिये अगर एक अच्छी रचना लिख सकते हैं, तो फिर दूसरी पत्रिका के लिये भी लिख सकते हैं. यदि पाठकों को उनकी रचना पसंद आएगी तो वे ज़रूर वैब में उनकी अन्य रचनाएं ढूंढ निकालेंगे. यह बात गलत है कि पाठक वर्ग (और लेखक वर्ग भी) केवल एक ही पत्रिका तक ही सीमित रहे. ऐसा होना एकदम अनावश्यक है और अगर हो रहा है तो अच्छे साहित्य के बढ़ावे के हक में हम सबों इसका विरोध करना चाहिये