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ऐन ऑल विमैन्ज़ इशू

  • मुक्ता सिंह ज़ौक्की
  • 1 अग॰ 2016
  • 1 मिनट पठन

इट्स ए मैन्ज़ वर्ल्ड में औरतों के कदम पड़े अभी आधा शतक ही बीता है. पिछली दो-ढाई पीढ़ियों से ही भारतीय औरतों की घर से बाहर अपनी किस्मत आज़माने की कोशिशें शुरू हुई हैं.

इस बीच हमने बहुत कुछ जाना है -

एक, कि महिला वाहन-चालक पुरुषों में बड़ा दहशत उत्पन्न कर जाती हैं.

दूसरे, कि अधिकाधिक पुरुष सोचते हैं कि असली शैफ़ वही हैं. ये अलग बात है रोज़मर्रा जीवन में घुसते रसोई में कुछेक ही हैं.

पुरुषों द्वारा बनाए गए इस समाज में औरतों के लिये मन और आँखों को भाने वाली भूमिकाएँ गिनती की ही हैं, एकाध (उदाहरण के तौर पर, कपिल शर्मा शो में औरतों के कैरिकेचर्ड-किरदार बखूबी निभाते हुए महिला नहीं मेल-आर्टिस्ट).

लौट-फिरकर महिलाएँ वहीं पहुँच जाती है, हर बार - फ़्रेम में कैद एक सुंदर तस्वीर बनने.

लेकिन, असल में 2016 में एक माँ, दोस्त, बहन, बेटी की आवाज़ें अनगिनत हैं.

इस इशू में 5 महिला आवाज़ें फ़्रेम में कैद सुंदर तस्वीर को चीर कर आपको कहानियाँ सुनाएँगीं.

- पढ़ते रहिये ...

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