बेटे की ममता - लघु कथा
- मीरा जैन
- 8 मार्च 2017
- 1 मिनट पठन
अपडेट करने की तारीख: 24 सित॰ 2020
आज माँ अस्पताल में भर्ती शायद अंतिम साँसें गिन रही थी अपनी माँ की हालत से व्यथित नवल अपने फेसबुक तथा वाट्सएप के दोस्तों से एक विनम्र अपील की -
प्यारे दोस्तों! मेरी माँ बहुत बीमार है माँ जल्दी स्वस्थ हो जाये इसलिये आप सभी की दुआ और प्रार्थना कि मुझे बेहद आवश्यकता है.
परिणामतः दोस्तों कि आत्मिय संवेदनायें लगातार प्राप्त होती रही और वह उन्हे निरंतर धन्यवाद देता रहा.
नवल के इसी मेसेज को पढ़ उसके वाट्सएप का एक दोस्त अपनी संवेदनायें वाट्सएप में प्रेषित करने के बजाय उसका दुख कम करने हेतू स्वयं ही उसके पास अस्पताल पहुँच गया और उसके कानों में माँ के स्वास्थ सुधार का एक अचूक नुस्खा बताया जिसे सुन नवल के चेहरे पर छायी चिंता की लकीरें कम होने के बजाय फैल कर दुगुनी हो गयी थी .
आगंतुक ने केवल इतना ही कहा था-
तुम अंदर जाकर माँ के कानों में केवल इतना ही कह दो कि ‘माँ तुम जल्दी ठीक हो जाओ मैं तुम्हारे बिना घर सूना है .‘
वह आगंतुक और कोई नही वृद्धाश्रम का मैनेजर था.

-मीरा जैन
मो.बा. - 09425918116
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उज्जैन, म.प्र.
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