“अधूरी जिंदगी” : कविता
- मोहित कुमार पाण्डेय (रुद्र)
- 11 जुल॰ 2017
- 1 मिनट पठन

अपनी अधूरी जिंदगी ले के,
तुम्हारे पुरे ख्वाब चाहता हूँ ,
मैं रुका तो दो पल था ,
मगर साथ ता-उ-मर चाहता हूँ ,
मैं अपनी अधूरी जिंदगी ले के
तुम्हारे पुरे ख्वाब चाहता हूँ |
ख़ुदगर्ज हूँ मैं
ये भी जनता हूँ ,
मगर फिर भी
तुमसे ऐतराम पूरा मांगता हूँ ,
मैं आज फिर से
कोई पुकारे तो रुकना चाहता हूँ ,
मैं अपनी अधूरी जिंदगी ले के
तुम्हारे पुरे ख्वाब चाहता हूँ |
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