
फ़साने से तुझे अचरज, जो होता है तो होने दे
हक़ीक़त लब पे आ जाये , मुझे इतना ही काफी है ।
मोहब्बत सच्ची - क्या - झूठी, मोहब्बत तो मोहब्बत है
मोहब्बत तुझको हो जाये , मुझे इतना ही काफी है ।
वो बारिश कल हुयी थी जो , हमारे प्यार पे प्यारे
असर उसका नज़र आये , मुझे इतना ही काफी है ।
मिले कब ? कब हुए तुमसे जुदा हमदम ?
खबर ये मुझको हो जाये , मुझे इतना ही काफ़ी है ।
तुम्हारे साथ गुजरे पल , हमेशा याद आते हैं
तुम्हे भी याद आ जाएँ , मुझे इतना ही काफी है ।
सफर था चन्द लम्हों का, गुजरना था; सो गुजरा है
बचा जीवन गुजर जाये , मुझे इतना ही काफी है ।
ये दुनिया तोहमतें मुझपर , लगाती है लगाने दे
नज़र तुझको न लग जाये , मुझे इतना ही काफी है ।
तुझे पाना , नहीं पाना , ये सब किस्मत की बाते हैं
तुम्हारे दिल में बस पाऊँ , मुझे इतना ही काफी है ।
-नितिन चौरसिया
मेरा नाम नितिन चौरसिया है और मैं चित्रकूट जनपद जो कि उत्तर प्रदेश में है का निवासी हूँ ।
स्नातक स्तर की पढ़ाई इलाहाबाद विश्वविद्यालय से करने के उपरान्त उत्तर प्रदेश प्राविधिक विश्वविद्यालय से प्रबंधन स्नातक हूँ । शिक्षणऔर लेखन में मेरी विशेष रूचि है । वर्तमान समय में लखनऊ विश्वविद्यालय में शोध छात्र के रूप में अध्ययनरत हूँ ।

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