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"यादें" - कविता

  • मोहित कुमार पाण्डेय (रुद्र)
  • 14 जुल॰ 2017
  • 1 मिनट पठन

ये सिर्फ यादें ही तो है ,

क्या हुवा अगर सताती है,

मगर पास तो वही रह जाती है,

ये सिर्फ यादें ही तो है ,

भूल जाने की फितरतो के बीच

खीच किस्सी किनारे की ओर,

बंद निगाहों से

ये बरसातो क दौर ,

ये सिर्फ यादें ही तो है ,

उनके अक्स को ,जेहन में जिन्दा रखे हुये

बोझिल मन की रौनक लिये

अब ये सिर्फ यादें ही तो है |

मोहित कुमार पांडे

सम्पर्क ई-मेल:-kuntalmohitpandey@gmail.com

दूरभाष :-9956531043

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