वो उस आईने की तरह
मेरे कमरे में रहता है...
जहाँ भी जाऊ मुझे देखता है...
मैं हंस दूँ तो वो भी हंस देता है...
और रो दूँ तो उसकी आँखें भी भर आती हैं...
जो कभी खामोश रहूँ...
तो चुप चाप मुझे ताकता है...
और जो मैं उससे मुह फेर लूँ...
तब भी मुझे देखता रहता है...
बड़ा अनोखा सा नाता है उससे...
जैसे भी मैं चाहुँ वैसे रहता है...
चाहे कोई भी बात हो...
हर दम मेरे कमरे में...
मेर साथ रहता है...
वो उस आईने की तरह...
हर दम मेरे कमरे में...
मेरे साथ रहता है...।
- कनकने राखी सुरेन्द्र