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मेरी नेहा

  • नेहा शर्मा
  • 27 अग॰ 2017
  • 1 मिनट पठन

आकाश में लय होती रोशन

चंद्रमा की वो शीतल चांदनी

संगीतमय बजती हुई बांसुरी

बादलों की वो पावन रागिनी

कानों में गूंजती मधुर विणा वादिनी

रात्रि के पहलू में मुझे समेट जाती है

फिर मुझे पल पल तेरी याद आती है

मेरे अंतर्मन को भीगा जाती है

हृदय की गति जैसे और तेज़ बढ़ जाती है

पल पल मुझे तब यूँ तड़पाती है

तेरी जिव्हा पर जब भी मेरा नाम आता है

मुझे थोड़ा सा विचलित कर जाता है

मुझे अक्ष तेरा हर तरफ नज़र आता है

और तेरा चेहरा मेरे मन का आईना बन जाता है

चोट मेरे भी हृदय को लगती है

अँखियाँ मेरी भी रोती है

मेरी पलकें तेरे अहसास को जोड़ती है

तुझपे ही खुलती है तुझपे ही बंद होती है

प्रेम मेरा प्रियतमा झूठ मत समझना

खोया हुआ हूँ तुझमे भटक हुआ मत समझना

तू धड़कती है सीने में मैं स्वप्न में हुँ

बस तुझमे हु मैं बस अपना ही समझना

ये नभ भी तेरी प्रशंसा करेगा

तू नेहा है मेरी ये तुझसे कहेगा

जीवन का ये अध्याय तब प्रेम से बंधेगा

संसार तब तेरी मेरी कहानी कविता में लिखेगा

नेहा शर्मा द्वारा

MIG-24 aawas vikaas colony roorkee haridwar (uttrakhand )

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