
घरोंदों में अभाव पकता है,
अभाव की चाशनी दिलों को जोड़ देती है ।
खून पसीना बहाकर घर बनता है,
पर फिर-
घर के कमरों सा दिल बंट जाता है।
घरोंदे का सुख
घर के किसी कोने में ,
अनचींहा,अनदेखा, अनजाना सा
रजकण बन रह जाता है
बिजूखा (Scare Crow ) बन
घर की ड्योड़ी पर चिपक जाता है,
किसी दिठौने की तरह।
2.6.06
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