किस अदा से नवाजा है या रब तूने उनको,
के जख्म देकर पूछते हैं - हाल कैसा है ?
कुफ्र में ही हमने गुजारे हैं अपने दिन,
अब सोचते हैं तुझसे ये सवाल कैसा है ?
आशिकमिजाज़ी नहीं परवाज-ए-इश्क़ है,
हासिल हों वो हमें ये ख़याल कैसा है ?
सोहबत में रहे उनकी दो पल को आज फिर,
मयस्सर है उनकी क़ुर्बत फिर मलाल कैसा है ?
मेरा नाम नितिन चौरसिया है और मैं चित्रकूट जनपद जो कि उत्तर प्रदेश में है का निवासी हूँ ।
स्नातक स्तर की पढ़ाई इलाहाबाद विश्वविद्यालय से करने के उपरान्त उत्तर प्रदेश प्राविधिक विश्वविद्यालय से प्रबंधन स्नातक हूँ । शिक्षणऔर लेखन में मेरी विशेष रूचि है । वर्तमान समय में लखनऊ विश्वविद्यालय में शोध छात्र के रूप में अध्ययनरत हूँ ।
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