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बाल दिवस पर ... नितिन चौरसिया के कुछ लघु ख्याल

- नितिन चौरसिया

बाल दिवस पर ...

रोशनी और रोहित क्रमशः कक्षा ६ और ८ में पढ़ते हैं. आज भी अपने पापा की बाइक पर बैठ कर स्कूल जा रहे हैं. उनको बताया गया है कि आज स्कूल में फंक्शन होंगे और बच्चों के लिए मस्ती के कई आयोजन होंगे. रोज मुँह लटकाकर स्कूल जाने वाले दोनों बच्चों का चेहरा आज इतना खिला था कि उनको न तो आज जगाने की मशक्कत करनी पड़ी और न ही तैयार करने की. केवल फर्स्ट हाफ सेशन की किताबों से भरा बैग भी आज बहुत ही हल्का लग रहा था. स्कूल पहुँचने पर दोनों को याद आया कि उन्होंने तो क्लास टीचर का दिया होमवर्क पूरा ही नही किया है. अब दोनों बच्चे रोने लगे थे.

स्कूल में प्रार्थना सभा में आज होने वाले कार्यक्रमों का विवरण दिया गया.| असेंबली में बताया गया कि आज क्लास में कोई होमवर्क चेक नहीं होगा और न ही कोई होमवर्क दिया जाएगा. कक्षा ५ का सबसे शरारती बच्चा दुखी था और उसके बगल बैठने वाला बच्चा ख़ुशी से भर गया. आज पहली बार उसके बगल बैठने वाले दोनों बच्चों के चेहरों पर मुस्कान आयी.

इंटरवल के बाद बड़े बच्चों को ‘साइंस सिटी’ ले जाया जाएगा. सुनते ही रौशनी ख़ुशी से उछल पड़ी. उसने अपने पापा से कई बार ‘साइंस सिटी’ जाने की बात की थी . पर उसके पापा किसी न किसी बहाने टाल जाते . हकीक़त में उनके पास न तो एक्स्ट्रा खर्च करने की क्षमता थी और न ही समय. रोहित को कोई दिलचस्पी नहीं थी. पिछले कई सालों से छठी, सातवीं और आठवीं के बच्चो को आज के दिन साइंस सिटी ले जाया जाता था. उसने सडा – सा मुँह बना लिया.

कक्षा ५ तक के बच्चों के लिए स्कूल में ही फेयर लगेगा.| सुनकर अकरम की बेताबी और बढ़ गयी. उसको विज्ञान से बेहद लगाव था. क्लास में उसने अपनी क्लास टीचर मिस सुरेखा से जब अपनी तमन्ना बतायी तो उन्होंने प्रिंसिपल से बात करने का आश्वाशन दिया . प्रिंसिपल ने अकरम को जाने की परमिशन दे दी.

शाम को अकरम नेअब्बू से कहा – चाँद नहीं डूबता कभी. आज मैंने साइंस सिटी में मूवी में सुना.

अकरम की उसके अब्बू ने पिटाई कर दी.

रोशिनी और रोहित घर वापस आ गए थे . रोशिनी ‘साइंस सिटी’ के अनुभवों को अपनी माँ से साझा कर रही थी. रोहित अपने पापा से अगले साल किसी दूसरे स्कूल में एडमिशन करवाने को कह रहा था. वहाँ बाल दिवस पर हर साल अलग – अलग जगह ले जाया जाता था. आज पहली बार माँ बेटी के किस्से सुनाने पर माँ को नींद आ गयी. रोशनी खुश थी. बहुत खुश.

रोहित की बात उसके पापा को समझ आ रही थी. उन्होंने सुबह बात करने की बात कही और उसको सो जाने को बोलकर खुद सो गए. सुबह रोशनी की माँ से उन्होंने कहा – रोशनी ने बहुत पढ़ लिख लिया है. इसको घर के काम सिखाओ. अगले साल से रोशनी स्कूल नहीं जाएगी .

©नितिन चौरसिया

 

मेरा नाम नितिन चौरसिया है और मैं चित्रकूट जनपद जो कि उत्तर प्रदेश में है का निवासी हूँ ।

स्नातक स्तर की पढ़ाई इलाहाबाद विश्वविद्यालय से करने के उपरान्त उत्तर प्रदेश प्राविधिक विश्वविद्यालय से प्रबंधन स्नातक हूँ । शिक्षणऔर लेखन में मेरी विशेष रूचि है । वर्तमान समय में लखनऊ विश्वविद्यालय में शोध छात्र के रूप में अध्ययनरत हूँ ।

फ़ोन -09453152897

ई-मेल - niks2011d@gmail.com

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