top of page

हाऊसवाईफ़

  • रश्मि सिन्हा
  • 14 नव॰ 2017
  • 2 मिनट पठन

10 वर्ष हो चुके थेरंजना की शादी को।रंजना अपने समय की मेधावी छात्रा थी, और उसके आगे जुड़ा था, चार प्रथम श्रेणी(हाइस्कूल, इंटर, बी.ए. और एम ए ) का तमगा। पिता की अभिलाषा थी कि वो भी किसी कॉम्पटीशन में बैठे, क्योंकि उसके माता और पिता दोनों ही उच्च अधिकारी थे पर पता नही क्यों रंजना की नौकरी करने में रंचमात्र भी अभिरुचि नही थी। शायद इसलिए कि इकलौती संतान होने पर भी, सब सुख सुविधाएं होने पर भी, वो जिस प्यार के लिए तरसी थी वो अपने बच्चों को उस प्यार से वंचित नही रखना चाहती थी। पति आई ए एस अधिकारी थे, व उनके मित्रों में सभी की पत्नियां सर्विस वाली थीं। पति के लाख समझाने के बावजूद वो बच्चों के बीच अधिक सहज महसूस करती। सभी रिश्तेदार उससे प्रसन्न थे। समाज मे, उसके सर्किल में सभी उसके रंग ढंग तौर तरीकों से प्रभावित, परंतु पति का असंतोष उसे अंदर तक कचोट जाता। आज वो मायके में 10 दिन रहने के बाद पुनः अपने घर जा रही थी।ए सी 2 में उसके सभी सहयात्री पुरुष थे।संभ्रांत घरों के। कुछ देर बाद सभी सहज हो आपस मे बात करने लगे। तभी एक ने रंजना से पूछा, मैम, आप कहीं सर्विस करती हैं?कुछ संकोच से रंजना ने उत्तर दिया,नही मैं एक साधारण हाउस वाइफ हूँ। ऐसा क्यों बोल रही हैं मैम? अचानक उन सभी के मुँह से एक साथ निकला। भला एक माँ और एक गृहणी से बड़ी भी कोई सर्विस होती है? और छलछला आई आंखों से, संतुष्ट रंजना, अपने निर्णय पर पछताने के बजाय गर्व महसूस कर रही थी।

नाम- रश्मि सिन्हा

rashmisahai.sinha@gmail.com शिक्षा- MA राजनीति शास्त्र परिचय- एक सामान्य शिक्षित गृहणी से लेखन तक का रोचक सफर। कुछ समाचार पत्रों, "समाज्ञा , कोलकाता और अन्य में लघु कथाएं प्रकाशित, उद्गार नाम से एक कविता संग्रह, और अनगढ़ नाम से एक लघु कथा संग्रह प्रकाशित। वनिका पब्लिकेशन से सांझा लघु कथाओं के संग्रह, "बूंद-बूंद सागर ,और "क्षितिज अपने अपने,में अनेकों लघु कथाएं प्रकाशित। के. जी पब्लिकेशन के सांझा संग्रह"खनक आखर की" में अनेक कविताएं प्रकाशित।

Comments

Rated 0 out of 5 stars.
No ratings yet

Add a rating

आपके पत्र-विवेचना-संदेश
 

ई-मेल में सूचनाएं, पत्रिका व कहानी पाने के लिये सब्स्क्राइब करें (यह निःशुल्क है)

धन्यवाद!

bottom of page