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मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

गूंज उठी अंबर में : कविता ... और एक लघु कथा भी : "खुदकशी"

गूंज रही अम्बर में, भारत मॉ की जय -जय-जयकार | इस पावनभूमि पर राम - कृष्ण ने लिया था अवतार ||

गाया-शेर होकर निर्भय यहॉ, एक घाट पर पीते थे पानी | वीर भरत और एकलव्य की है, अमर - अनूठी कहानी ||

तुलसी, सूर-कबीरा के छंदों से है, अमिट पहचान हमारी | मेरे भारतमाता की मिट्टी की खुशबू सौंधी - सौंधी प्यारी ||

गुरूवर विरजानंद के दयानंद से शिष्य हुए यहॉ निराले | सुभाष,भगत,चन्द्रशेखर,बिस्मिल से क्रांतिवीर मतवाले ||

गूंज रही अम्बर में, भारत मॉ की जय -जय-जयकार | इस पावनभूमि पर राम - कृष्ण ने लिया था अवतार ||

 

लघु कथा - "खुदकशी" - मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

युवा पत्रकार दीपक ने अपने साप्ताहिक में दरोगा शैतान सिंह के काले कारनामों को क्या छाप दिया | शैतान सिंह तिलमिला उठा | उसने तुरन्त बदले की भावना से दीपक पर अनन्त धाराओं का एक ग्रंथ लिख डाला | दीपक को जबरन गिरफ्तार कर लिया और तब तक शैतान सिंह दीपक को थर्ड डिग्री देता रहा जब तक कि वो मर न गया |

सुबह महानगर के लोगों ने एक बड़े अखबार में खबर पढ़ी - सड़क छाप पत्रकार ने की खुदकशी | खुदकशी के कारणों की पुलिस कर रही है छानबीन... |

 

मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

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