top of page
अर्चना सिंह जया

नारी तू सशक्त है

इस साल फिर महिला दिवस आ गया ... जब तक हम महिला दिवस मनाते जाएंगे, नारी पर कविताएं बनती जाएंगी ...

नारी तू सशक्त है

नारी तू सशक्त है।

बताने की न तो आवश्यकता है

न विचार विमर्श की है गुंजाइश।

निर्बल तो वह स्वयं है,

जो तेरे सबल होने से है भयभीत।

नारी तू सशक्त है

धर्म-अधर्म की क्या कहें?

स्त्री धर्म की बातें ज्ञानी हैं बताते

पुरुष धर्म की चर्चा कहीं,

होती नहीं कभी अभिव्यक्त है।

नारी तू सशक्त है।

देवी को पूजते घरों में,

पर उपेक्षित होती रही फिर भी।

मान प्रतिष्ठा है धरोहर तेरी,

अस्तित्व को मिटाती औरों के लिए

नारी तू सशक्त है /

तू ही शारदा ,तू लक्ष्मी,तू ही काली

धरा पर तुझ-सी नहीं कामिनी।

तेरे से ही सृष्टि होती पूर्ण यहाॅं,

भू तो गर्व करता रहेगा सदा।

नारी तू सशक्त रही

और तू सशक्त है सदा।

 

अर्चना सिंह जया



0 टिप्पणी

हाल ही के पोस्ट्स

सभी देखें

आपके पत्र-विवेचना-संदेश
 

bottom of page