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खांटी खड़गपुरिया तारकेश कुमार ओझा की नई कविता ... मामूली हैं मगर बहुत खास है...

  • तारकेश कुमार ओझा
  • 12 जुल॰ 2018
  • 1 मिनट पठन

मामूली हैं मगर बहुत खास है... बचपन से जुड़ी वे यादें वो छिप छिप कर फिल्मों के पोस्टर देखना मगर मोहल्ले के किसी भी बड़े को देखते ही भाग निकलना सिनेमा के टिकट बेचने वालों का वह कोलाहल और कड़ी मशक्कत से हासिल टिकट लेकर किसी विजेता की तरह पहली पंक्ति में बैठ कर फिल्में देखना बचपन की भीषण गर्मियों में शाम होने का इंतजार और नलों से पानी भर कर छतों को नहलाना वाकई मामूली सी हैं लेकिन बहुत खास है बचपन से जुड़ी वे वादें बारिश के वे दंगल और बारिश थमने का इंतजार ताकि दुगार्पूजा का हो सके आगाज घर आए शादी के कार्ड से ढूंढ कर प्रीतिभोज पढ़ना तारीख याद रखना और फिर तय समय पर पांत में बैठ कर भोज का आनंद सामने रखे पानी के गिलास से पत्तों को धोना साथ ही नमक और नीबू को करीने से किनारे करना वाकई मामूली हैं मगर बहुत खास हैं बचपन से जुड़ी वे यादें छोटे - बड़ों के साथ बैठ कर जी भर कर जीमना मेही दाना के साठ मीठी दही का स्वाद और फिर कनखियों से रसगुल्लों की बाल्टियों का इंतजार वाकई मामूली हैं मगर बहुत खास है बचपन की वे यादें

लेखक पश्चिम बंगाल के खड़गपुर में रहते हैं और वरिष्ठ पत्रकार हैं।

तारकेश कुमार ओझा,

भगवानपुर, जनता विद्यालय के पास वार्ड नंबरः09 (नया) खड़गपुर ( प शिचम बंगाल) पिन 721301 जिला प शिचम मेदिनीपुर संपर्कः 09434453934, 9635221463

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