अब बस, जूते का जमाना है
- हरेन्द्र पाल
- 4 अप्रैल 2019
- 2 मिनट पठन

हर ब्राण्ड के जूते की, अपनी किस्मत,
अपना मान और उचित स्थान होता है|
किसी को पैर तक भी, नसीब नहीं होता,
और कोई जूता, सर तक, चढ़ जाता है|
जूता, सर तक, क्यों कर, चढ़ जाता है?
उसे पता होता है, कि, कहाँ तक जाना है|
उसका इस्तेमाल, किसने कब, कैसे किया है,
कभी उठाकर, कभी चाट कर, कभी मारकर|
जूता, सर तक यू ही नही चढ़ जाता है.
कि, वह जूता है, स्वतंत्र है, जहाँ चाहे चढे|
वह इसलिए भी सर तक चढ़ जाता है, कि
उसे पता है, किसका है, कितना मजबूत है|
कभी उसे अपने गुण्डतत्व का मान होता है
और कभी, बड़े होने का भी, गुमान होता है|
शायद इसलिए झट से हाथ में आ जाता है,
जूता तो, आखिर, जूता ही होता है, ना,
उसकी औकाद क्या, उसकी विसात क्या?
पहनने वाले से उसकी औकाद होती है|
ब्राण्ड कोई हो, जूते को, कौन पूछता है,
कभी, पहन कर आपकी शान बढ़ता है|
कभी प्रतिध्वन्द्दी के, सर पर, चढ़ कर,
शान से, नया, अमिट इतिहास बनाता है|
जूता होना, कोई बड़ी,अनोखी बात नहीं है
जूता किसका है, बस यही, ख़ास बात है|
गरीब, मजदूर, या आम आदमी के पड़े,
तो, वह तो, बस उसी के लायक होता है|
जूता, माननीय द्वारा, माननीय के पड़े,
तो, लोकतंत्र के चेहरे पर दाग होता है|
मुझे, समझ नही आता, कि, यह जूता ,
विविध रूप कैसे और कहाँ, से अपनाता है,
बिविध इस्तेमाल, कौन इसे सिखाता है?
कही, यह, श्रेष्ट होने का, दंभ तो नहीं,
जो जूते को, हर बार, नई राह, दिखाता है
कभी विरोधी के, सर पर, कभी शरीर पर,
कभी-कभी गले में, माला बन, इतराता है|
जूता, जूता होता है, जाने कब बिगड़ जाये
और 4 सेकंड, में 7 सात, बार पड़ने का,
नया, विश्व कीर्तिमान स्थापित हो जाये|
अब इससे, माननीये भी, थरथराने लगे है,
देखा था, सुना था, कभी जूते की नोक पर ,
कभी, जूते की ठोकर पर, मगर यह आज,
अब यह, सारी हदे लांघ कर आया है|
माननीयो की भी, ड्योढ़ी चढ़ आया है,
अब माननीय, अपनी पार्टी के माननीय,
और जनता के भेद को भी, भूल बैठा है|
उसमे भी समरसता का भाब आया है,
जूता, असल में अपनी औकाद पे आया है|
क्यूंकि, उसे आज, यह पता चल चुका है,
कि, अब बस, जूते का ही जमाना है|
कि, अब बस, जूते का ही जमाना है|
हरेन्द्र पाल,लखनऊ
Er. Harendra Pal
Graduate in Mechanical Engineering & Humanities
Post Graduation in Political Science & Management
Ph. D. Scholar (Business Administration),
Head, Air Conditioning & Transport Division
CSIR- National Botanical Research Institute
10- Rana Pratap Marg, Lucknow ,226001 (INDIA)
Mob: 9451902142, 0522-2297867
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