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अशोक गौतम

चन्द्रयान के इंतजार में चंद्र सुंदरी


यह किस्सा उसके बाद का है जब अवैध धंधों और संबंधों के अनगिनत तमगों के विजेता इंस्पेक्टर मातादीन चांद प्रशासन के आग्रह पर उनके पुलिस विभाग में क्रांतिकारी सुधार लाने के इरादे से पुलिस सेवा आदान प्रदान कार्यक्रम के तहत अपनी सरकार द्वारा डेपुटेशन पर चांद भेजे गए थे और चंद दिनों में ही उन्होंने वहां के पुलिस विभाग में ऐसे ऐसे क्रांतिकारी सुधार कर डाले थे कि वहां की सरकार को पूरे चंद्रलोक के हाथ जोड़ उन्हें वहां से समय से पहले ही उनका डेपुटेशन खत्म कर सादर वापस भेजना पड़ा था।

चांद पर भी तब पुश्तों तक न मिटने वाली अपनी अमिट कार्यकुशलता की छाप छोड़ वे वहां की कानून व्यवस्था में क्रांतिकारी सुधार कर अपने देस लौट तो आए थे, पर उसके बाद की कहानी का कम ही पाठकों को पता होगा कि उन्होंने चांद पर सुधारों के साथ और क्या गुल खिलाए थे?

जब वे चांद पर उस दिन वहां की पुलिस की क्लास लगाने के बाद थके मांदे घूमने निकले तो अचानक उनकी नजर चांद की एक सुंदरी पर पड़ गई। उस सुंदरी पर नजर पड़ते ही वे ये भूल गए थे कि वे अपने देस में नहीं, चांद पर हैं। एकाएक तब उन्हें फील हुआ ज्यों वे चांद पर नहीं, उस वक्त भी ज्यों अपने देस में ही हों। ये फील होते ही उन्होंने सुंदरी को बिना किसी की परवाह किए तोला तो उन्हें लगा, काम बन सकता है। और वे कानून के तमगे कंधों से निकाल अपनी जेब में डाल उसके पीछे हो लिए, मूंछों को ताव देते, उसे सुरक्षा देने के बहाने। उसका पीछा करते-करते वे ये भी भूल गए कि वे उनके पद का रौब दिखाकर हर दुकान से साधिकार सामान उठाने वाली बीवी के साथ ही साथ चार बच्चों के बाप भी हैं। असल में उन पर काम का लोड इतना है कि जब भी काम से चूर होकर वे किसी सुंदरी को देखते हैं तो और कुछ भूलें या न, पर यह जरूर भूल जाते हैं कि वे अपने से भी चार कदम आगे की खाऊ बीवी सहित चार नालायक बच्चों के बाप हैं।

तो अपने एमडी साब! चांद पर होने के बाद भी पहली ही नजर में उसे देखते फिर भूल गए कि वे अपने देस में अपनी बीवी बच्चों को छोडकऱ आए यहां के राज अतिथि हैं। वे ये भी भूल गये कि अपने देस में कुछ भी ऊटपटांग करो तो अपनी ही बदनामी होती है, परंतु यहां कुछ ऐसा वैसा करेंगे तो उनकी नहीं, पूरे देस की बदनामी होगी। फिर वे सोचे? राज अतिथि के दिल नहीं होता क्या? शादीशुदा होने के बाद भी क्या उसका मौलिक हक नहीं कि वह अवसर सुअवसर मिलते आंखें चार करें?

एमडी साब को यह भी पता था कि चांद पर उनके परिवार के बारे में जानने वाला कोई नहीं। और जो कोई उनसे उनके परिवार के बारे में पूछे भी तो वे बताने वाले बिल्कुल नहीं। हर कोई अपने पांव पर कुल्हाड़ी मार सकता है, पर कम से कम एक पुलिसवाला तो बिल्कुल नहीं मार सकता।

एमडी साब का मानना है कि हर सुंदरता वाली चीज पर पहला हक कानूनवालों का ही होता है। कानून उसके साथ सुरक्षा के बहाने वह सब कुछ मजे से कर सकता है जो....

तो पाठको! बहुत कम पाठकों को इस बात का इल्म होगा कि वहां पर उनके एक विवाहित सुंदरी से संबंध हो गए थे। दोनों शादीशुदा थे, सो दोनों ने एक दूसरे से एक दूसरे के पति, पत्नी के बारे में कतई नहीं पूछा। और जिस तरह वे अपने को रिश्वत लेने से लाख हाथ पीछे खींचने के बावजूद भी रोक नहीं पाते थे, उसी तरह उस चंद्र सुंदरी को प्रेम सुरक्षा प्रदान करते-करते वे अपने को उसके आंचल में जाने से बचा नहीं पाए।

और नतीजा! वहां की पुलिस व्यवस्था में क्रांतिकारी सुधार लाते-लाते वे अपने देस का एक जीव उस सुंदरी की कोख में रोपित कर आए।

इधर वे वापस अपने देस तो आ गए पर चंद्रलोक की उस सुंदरी से उनकी एक और संतान ने जन्म ले लिया। मातादीन उर्फ एमडी साब वहां से आते-आते सुंदरी को वचन दे आए थे कि ज्यों ही धरती से अपने देश का कोई चंद्रयान अपनी सरकार द्वारा यहां भेजा जाएगा, तो उसमें वे दोनों की सीट एडवांस में बुक करवा देंगे। पर हुआ यों कि इस बीच अपने देश को कोई चंद्रयान चांद पर न भेजा जा सका।

उधर भारत से चांद पर भेजे जाने वाले चंद्रयान की बाट जोहती-जोहती वह सुंदरी सुंदर होने के बाद भी उम्र दराज होने लगी तो एमडी साब का चांद पर जन्मा बेटा पल छिन बड़ा।

जब मातादीन का चांद पर जन्मा बेटा सोचने समझने लायक हुआ तो एक दिन वह अपनी मां से पूछा बैठा,‘ मां! मेरे डैड कहां रहते हैं? मुझे मेरे डैड दिखाओ न!’ तो उस सुंदरी ने धरती की ओर उंगली लगाकर उससे कहा,‘ बेटा! तेरे डैड वहां रहते हैं।’

‘इत्ती दूर? इत्ती दूर वे क्या करते हैं? एमडी साब के पता नहीं कितनवे बेटे ने अपनी मां से पूछा तो वह उदास हो बोली,‘ वहां वे पुलिस विभाग में नौकरी करते हैं।’

‘ तो वे यहां क्यों नहीं नौकरी करते?’

‘यहां ऊपर की कमाई के सकोप नहीं है न बेटे!’ तब बेटे ने ज्यों ही अगला प्रश्न अपनी मां से पूछा तो मां ने उसे चुप करा दिया। ऐसे ही एमडी साब के बेटे को जब भी मौका मिलता, वह अपने डैड के बारे कुछ न कुछ जरूर पूछता। अपने डैड की शक्ल के बारे में पूछता। पर सुंदरी हर बार उसे उसके डैड का नाम एमडी साब बता कर जैसे कैसे उसे चुप करा देती।

एक दिन फिर एमडी साब के बेटे ने अपनी मां से कहा कि वह जो उसे उसके डैड नहीं दिखा सकती तो न सही। कम से कम उसकी फोटो ही बता दे, तो यह सुन वह विवाहिता सुंदरी एक बार पुनः चुप हो गई। असल में पहले पति के डर से उसने एमडी साब की फोटो केवल अपने दिल में ही रखी थी।

यों ही दिन...महीने... साल बीतते गए। और बेचारी सुंदरी! अपने देस से आने वाले चंद्रयान का इंतजार करती बूढ़ी होने लगी।

चंद्रलोक में जब भी कोई यान उतरता तो वह सारे काम छोड़ दौड़ कर उस यान के पास आ जाती। उसे लगता कि यह यान भारत से आया होगा। पर जब वह उस पर अमेरिका, चीन, रूस या किसी अन्य देश का लगा झंडा देखती तो उदास हो जाती।

...और एक दिन! अपने देस का चंद्रयान चंद्रमा की ओर कूच कर गया। एमडी साब ने ज्यों ही जिमखाना जाते-जाते इस बात की खबर चंद्रलोक की अपनी आठवीं इलीगल बीवी को दी तो वह पागल हो गई। उसका मन किया कि वह चांद पर से उसी वक्त पृथ्वी पर छलांग लगा दे। एमडी साब ने फोन पर दिल फेंकते उसे बताया कि उसने उन दोनों के लिए अपने चंद्रयान में वापसी का टिकट बुक करवा दिया है तो फोन पर ही चंद्रसुंदरी ने एमडी साब से पूछा, ‘हे मेरे दूसरे प्राणनाथ! पर हम धरती पर आकर रहेंगे कहां? आपके पुराने घर में हमारे आने पर दंगा फसाद हो गया तो? एक ही घर में बीवी और सौत अपने-अपने बच्चों के साथ रह पाएंगी क्या?’ तो उन्होंने काली की मूंछों पर ताव देते, पैंट से फुट भर बाहर निकल आए पेट बैल्ट कस उसे भीतर करते कहा, ‘डरो मत डार्लिंग! तुम्हारा एमडी साब इंस्पेक्टर से एसपी हो गया है। अब बड़े बड़े शरीफों से उसके पारिवारिक संबंध हो गए हैं। दिल्ली में ही उसके पॉश एरिया में दस बेनामी फ्लैट हैं। मन करे तो रोज फ्लैट बदलते रहना। क्या मजाल जो दूसरी बीवियों को इसकी भनक भी लग जाए कि तुम चांद पर से आ गई हो। और हां! आते-आते आईजी साहब की बेगम को चांद पर से एड़ी चमकाने वाला बिल्कुल वैसा ही पत्थर जरूर लाना। कह रहे थे कि यार! उस पत्थर से बेगम ने जब एड़िया रगड़ीं तो वह ऊपर तक चमक गई थी। उनका वह एड़ियां चमकाने वाला पत्थर अब घिसने को आ गया है। ’

मित्रो! जबसे अपने देस का चंद्रयान चांद पर रवाना हुआ है, अपना देस ही नहीं, चंद्रलोक की एमडी साब की सुंदरी भी हमारे मिशन चांद की सफलता की दिन रात कामना कर रही है। वह दिनरात जागे-जागे सारे काम छोड़ दूरबीन से चंद्रयान को एकटक निहारती बस इस इंतजार में है कि कब जैसे उसका चंद्रयान रूपी एमडी साब पृथ्वी की परिक्रमा पूरी कर चांद पर प्रवेश करे और वह उसके गले में सारी लोकलाज त्याग वरमाला डाल उनके स्वागत के मंगलगीत गाने के बाद, अपने बेटे के साथ एड़ियां चमकाने वाला पत्थर ले निर्दयी एमडी साब से आ मिले, अपने बेटे को यह कहने कि-देख बेटा! ये रहे तेरे एमडी डैड!

 

अशोक गौतम

गौतम निवास, अप्पर सेरी रोड़

नजदीक मेन वाटर टैंक, सोलन-173212 हि.प्र

मो 9418070089

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