फुदक-फुदक कर नाचती चिड़िया,
दाना चुंगकर उड़ जाती चिड़िया |
हरी-भरी सुंदर बगिया में,
मीठे-मीठे गीत सुनाती चिड़िया |
अपने मिश्रीघुले बोलों से
बच्चों का मन चहकाती चिड़िया |
नित मिल-जुल कर आती,
आपस में नहीं झगड़ती चिड़िया |
प्रेमभाव से रहना सिखलाती,
बहुत बड़ी सीख देती नन्हीं चिड़िया |
तरह-तरह के रुप-रंग वाली,
लाल, हरी, काली, नीली, पीली चिड़िया |
फुदक-फुदक कर नाचती चिड़िया,
दाना चुंगकर उड़ जाती चिड़िया ||
- मुकेश कुमार ऋषि वर्मा
ग्राम रिहावली, डाक तारौली,
फतेहाबाद, आगरा, 283111
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