खुदी में, खुदी से, खुश रहना सिखा दिया मुझे
मेरे हालातों ने जीने का मकसद बता दिया मुझे...
के अब परवाह नहीं है दुनिया की मुझे
चाहे जो मर्जी कह ले वो, जो कहना है उसे.
अपने हौसलों के बल पर मैं सब करके दिखा दूंगा
जो दी है जमाने ने टीस मुझे
उसी टीस के तिनकों से मैं अपना घर सजा लूंगा.
खुदी में, खुदी से, खुश रहना सिखा दिया मुझे
मेरे हालातों ने जीने का मकसद बता दिया मुझे...
के नहीं चाहिए मुझे उड़ने के लिए, अब खुला आसमान
किसी को दिखाने के लिए, नहीं दिखानी है मुझे झूठी शान.
डर डर कर, घुट घुट कर जीना छोड़ दिया है मैंने
अब मेरा वजूद मेरी हिम्मत ही मेरी पहचान है.
खुदी में, खुदी से, खुश रहना सिखा दिया मुझे
मेरे हालातों ने जीने का मकसद बता दिया मुझे...
जो करेगा कोशिश ज़माना करने की नज़रअंदाज मुझे
तो वक्त आने पर अपनी अहमियत भी बता दूंगा उसे.
देर से ही सही अपने हुनर के दम पर मैं सब पा लूंगा
और बिन बोले भी जो कहना है दुनिया को बता दूंगा.
खुदी में, खुदी से, खुश रहना सिखा दिया मुझे
मेरे हालातों ने जीने का मकसद बता दिया मुझे...
मानता हूँ हालातों के आगे मैं भी कभी हारा था
थी नादानी मेरी जो समझा खुद को बेचारा था.
बेबस हालातों में जो ठोकरें मैंने खायी हैं
शुक्रगुजार हूँ उन ठोकरों का मैं
क्योंकि इन्हीं से ही तो मुझमें लड़ने की ताकत आयी है.
खुदी में, खुदी से, खुश रहना सिखा दिया मुझे
मेरे हालातों ने जीने का मकसद बता दिया मुझे...
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