कमला ने कुढ़ते हुए कपड़े उठाए और चार कोठी छोड़ कर गली के नुक्कड़ में एक पेड़ के नीचे इस्त्री करती धोबन कोयल की मेज पर पटक दिए।
"लाडो बड़ी गर्म लग रही है, क्या हुआ?"
"आराम से इस्त्री कर तब तक जरा पान चबा लूं।"
कोयल की मेज पर एफएम रेडियो में गाना बजा "सजनवा बैरी हो गए हमार" गाना सुनते ही कमला झूम उठी "गाना सुनकर कलेजे को ठंडक पड़ गई कोयल, बड़ा मीठा गाना है। कमाल का लिखा है लिखने वाले ने और गाने वाले ने "करमवा बैरी हो गए हमार"
"क्या हुआ मरदुआ फिर भाग गया।" कोयल ने कपड़ों की इस्त्री रोकते हुए कमला से पूछा।
"तूने काम क्यों रोक दिया, यहाँ तो हर रोज की बात हो गई है, मर्जी होती है भाग जाता है फिर खीं-खीं करता वापिस आ कर कसमें खाने लगता है। गया तो गया।" कमला ने पान की पीक पेड़ पर मारते हुए कहा।
"हाय हाय मरदुआ तेरा भागा है और पत्ते पेड़ के लाल हो गए।" कोयल ने खाने का टिफिन खोला और कमला से पूछा "खाना खा ले।"
"तू खा ले, मैं तो मोटी फुटबॉल का देसी घी वाला खाना खाऊँगी।"
"मौज है तेरी, कम से कम खाना तो बढ़िया मिलता है।"
"तभी मोटी फुटबॉल के घर टिक कर काम कर रही हूँ वरना एक नंबर की वाहियात औरत है।"
"क्या हुआ?"
"बोलने की तमीज नही है। साली गली गलौच की भाषा में बात करती है। जितनी चर्बी बदन पर है उससे दुगनी चर्बी दिमाग में है।"
"तू आराम से बैठी है फुटबॉल तेरा इंतजार कर रही होगी। तेरे कपड़े इस्त्री कर देती हूँ।" कोयल ने खाने के पश्चात कुल्ला करते हुए कहा।
"कर दे, साली ने किट्टी पार्टी में जाना है।"
कपड़े इस्त्री कराने के पश्चात कमला गाना गुनगुनाते हुए कोठी में प्रवेश करती है "सजनवा बैरी हो गए हमार"
कमला को गाना गुनगुनाते देख कर अवीना आगबबूला हो जाती है "इतनी देर क्यों लगा दी, धोबन के संग गप्पें ठोक रही होगी। तुझे कहा था न कि मुझे पार्टी में जाना है और देर करा कर ही दम लेगी। तुझे कितनी बार कहा है कि ये सड़े हुए गाने मेरे सामने नही गया कर।"
आधे घंटे बाद अवीना सजधज के किट्टी पार्टी में चली गई। पांच मिनट बाद अतुल शर्मिला के साथ आ गया।
"मेमसाब?" अतुल ने कमला से पूछा।
"मेमसाब पार्टी में गई।"
"कब?"
"अभी पांच मिनट पहले।"
"ठीक है मैं ऑफिस में हूँ।" अतुल शर्मिला के संग कोठी के बेसमेंट में बने ऑफिस में चला गया। अतुल और शर्मिला के ऑफिस में जाने के पश्चात कमला ने फिर से गाना गाया "सजनवा बैरी हो गए हमार...बलमवा सौतन के भरमाए" गाना गाते हुए कमला ने छक कर खाना खाया और फिर बेसमेंट में जा कर अतुल से पूछा "साहब चाय, कॉफ़ी?" अतुल शर्मिला के साथ चिपक कर बैठ प्रेम की पींगे बढ़ा रहा था। कमला को देखते ही अतुल बिगड़ गया "तुझे कितनी बार कहा है जब मैं ऑफिस में काम कर रहा हूँ तो मुझे डिस्टर्ब नही करना है।"
"साब जी मैं तो चाय, कॉफ़ी...।"
"कुछ नही चाहिए, तू फूट ले।"
कमला ऑफिस से निकल कर बेसमेंट की सीढ़ियों में रुक कर अतुल और शर्मिला की बातें सुनने लगी।
"अतुल बेबी तुम इस निकम्मी नौकरानी को निकाल क्यों नही देते, बहुत डिस्टर्ब करती है।"
"डार्लिंग साली मोटी फुटबॉल के मायके से आई है वरना एक लात मार कर एक मिनट में निकाल दूँ।"
अतुल और शर्मिला प्रेमालाप करने लगे और कमला उनकी बातें सीढ़ियों में बैठ कर सुनती रही। कोयल ने पीछे से कमला की पीठ थपथपा कर कान में फुसफुसाया "क्या सुन रही है?" कमला कोयल के साथ कोठी से बाहर आ कर एक कोने में खड़े हो कर गुनगुनाती है "बलमवा सौतन के भरमाए"
"तेरा मरदुआ चार दिन से घर नही आया और तू मस्त गाने गा रही है।" कोयल ने कमला से पूछा।
"कोयल रानी सारे मरदुये एक जैसे होते हैं। मेरा मरदुआ हो या मोटी फुटबॉल का मरदुआ सब दूसरी औरतों के पीछे मर रहे हैं तभी तो मैं खुश रहती हूँ जहाँ मर्जी मरें, ससुरे आखिर में खुशामद हमारी ही करते हैं और नाक रगड़ते है।"
"देख मेरे मरदुये को देख, दिन दहाड़े पौआ पी रहा है और मैं मेहनत कर रही हूँ। तू सही कह रही है कि सारे मरदुये एक समान हैं।"
"लगा दे गर्मा गर्म प्रेस, नशा उतर जाएगा।"
"नशा तो उतर जाएगा फिर डॉक्टर से दवा के पैसे भी मेरे से ले मरेगा।"
"ये जो अतुल बाबू हैं न इनका पूरा चक्कर आइटम गर्ल से चल रहा है।"
"आइटम गर्ल कौन?"
"अरे वही मिनी स्कर्ट वाली जो चिपकी हुई है।"
"आइटम गर्ल नाम बढिया रखा है।"
"नाम उस मोटी फुटबॉल ने ही रखा है। जब मोटी फुटबॉल घर पर नही होती है तभी आती है। इधर से मोटी फुटबॉल की कार निकली और पांच मिनट में अतुल आइटम गर्ल के साथ आ गया। अच्छा मैं चलती हूँ, मोटी फुटबॉल के आने का समय हो गया है।"
खूबसूरत लंबे कद के अतुल का आकर्षक व्यक्तित्व हर किसी को अपनी ओर खींचने में सक्षम था। कॉलेज में कई लड़कियां अतुल की ओर आकर्षित थी लेकिन अतुल की पसंद अवीना थी। दूसरी लड़कियों को अतुल की पसंद पर आश्चर्य और हैरानी हुई कि अतुल इतनी खूबसूरत लड़कियों को छोड़ एक बेमेल लड़की के पीछे पागल हो रहा है। अवीना गोरी तो थी लेकिन अवीना मोटी थी। अवीना के मोटापे के कारण वह कॉलेज में वाइट फुटबॉल के नाम से मशहूर थी। गोल मटोल अवीना पर लट्टू होने का मुख्य कारण उसका अमीर होना था। कॉलेज में अवीना मर्सिडीज कार में आती थी और अतुल बस में। अतुल एक मध्यवर्गीय परिवार से था। अतुल के पिता एक ठेकेदार थे जो भवन निर्माण से जुड़े हुए थे। अतुल की माँ गृहिणी थी और एक छोटा भाई और बहन भी थी। मध्यवर्गीय परिवार में कमी तो कोई नही थी लेकिन मजबूरियां अवश्य होती हैं जब अपनी इच्छा को दबा कर परिवार की प्राथमिकता देखनी होती है। अतुल के पिता के पास एक पुराना स्कूटर था जिस पर कभी पूरा परिवार सफर करता था जब अतुल छोटा था। अतुल का छोटा भाई पिता जी के साथ आगे खड़ा होता था, अतुल माँ और पिता के बीच में बैठता था और छोटी बहन माँ की गोद में बैठती थी। अतुल लोगों की कार देख कर सोचता ही रह जाता था कि काश कभी वह भी कार में बैठे और अपनी अधूरी खवाहिश को पूरा करने के लिए अतुल ने अवीना से मित्रता की। अवीना अतुल से बड़ी थी और जब अतुल बीए कर रहा था तब अवीना एमए कर रही थी। अवीना भी दूसरी लड़कियों की तरह अतुल की ओर आकर्षित हुई। अतुल ने अवीना की नजदीकी को तुरंत भुनाया और अवीना को अपने प्रेमजाल में गिरफ्त कर लिया। चाहे अवीना के परिवार में रुपये की कोई कमी नही थी लेकिन फुटबॉल जैसी गोल मटोल अवीना को खूबसूरत हैंडसम हंक जैसा दूल्हा मिलने में दिक्कत आ रही थी। अतुल ने इस अवसर पर अवीना के सामने विवाह प्रस्ताव रखा जिसने सहर्ष स्वीकार कर लिया। एकदम हीरो मार्का कैसानोवा टाइप लड़के की हर लड़की ख्वाहिश रखती है। अवीना को अपने सपने का हसीन राजकुमार मिल गया और अतुल को अवीना की दौलत मिल गई। अतुल अवीना के पारिवारिक व्यवसाय से जुड़ गया और एक बढ़िया से फ्लैट में रहने लगा। बस में सफर करने वाले अतुल के पास अब दो चमचमाती कार हो गई। एक मर्सिडीज कार अवीना की और एक हौंडा सिटी कार अतुल की। अतुल मर्सिडीज कार में ही सफर करता। अतुल के पास अब हर सुख सुविधा थी जिस की अतुल की ख्वाहिश रखता था। विवाह के तीन वर्ष के अंदर अतुल और अवीना एक पुत्र और एक पुत्री के माता-पिता बन गए। पुत्र और पुत्री के जन्म के बाद अवीना बच्चों की परवरिश में व्यस्त हो गई। बच्चों के जन्म के बाद अवीना थोड़ी मोटी और हो गई लेकिन अतुल की खूबसूरती, बांका छैला पन पहले जैसा ही बरकरार था। व्यापार के सिलसिले में अनेक व्यक्तियों से मिलना होता था। अतुल ने घर पर ही एक ऑफिस बना लिया अक्सर व्यापारी, सलाहकार और कंसलटेंट घर वाले ऑफिस में आते रहते थे। अवीना भी खाली समय में ऑफिस में बैठ जाती थी हालांकि वह व्यापार देखती नही थी फिर भी अपनी सलाह दे देती थी। व्यापार में समस्त पूंजी अवीना की थी और कानूनी तौर पर मालिक भी वही थी इस कारण थोड़ा बहुत हस्तक्षेप अवीना का रहता ही था।
शाम के समय अवीना ऑफिस में बैठी आवश्यक दस्तावेज पर हस्ताक्षर कर रही थी तभी एक खूबसूरत युवती ने अतुल के बारे में पूछा।
"मिस्टर अतुल से मिलना है।"
उस युवती की आवाज सुनकर अवीना ने उसको देखा। गोरी चिट्टी लंबे कद की युवती गज़ब की खूबसूरत थी। युवती ने मिनी स्कर्ट पहन रखी थी और अंग पदर्शन भी कर रही थी। अवीना ने उससे नाम पूछा।
"आपका नाम?"
"शर्मिला।"
अवीना सोचने लगी कि नाम शर्मिला है लेकिन शर्म का कोई नाम नही। बदन दिखाऊ चुस्त कपड़े पहन कर अतुल से किस लिए मिलने आई है।
"आपको क्या काम है?"
"मुझे मिस्टर अतुल से मिलना है। मैं इंटीरियर डिज़ाइनर हूँ। मिस्टर अतुल ने बुलाया है।"
शर्मिला को बैठने का कह कर अवीना ने अतुल को फोन लगाया "अतुल कोई शर्मिला नाम की लड़की तुमसे मिलने आई है।"
"हाँ उसको बैठने को कहो। मैं ट्रैफिक में फंस गया हूँ। आधे घंटे तक आता हूँ।" घर में बने ऑफिस पहुँच कर अतुल बहुत आत्मीयता से शर्मिला से मिलता है "हाय शर्मिला कैसी है तू।"
शर्मिला अतुल के गले लग कर मिलती है "फाइन अतुल, कैसे हो थके हुए लग रहे हो?"
अवीना शर्मिला के अतुल के गले लगने पर क्रोधित होती है लेकिन अपना गुस्सा शांत रखती है और दोनों पर नजरें गड़ा लेती है।
"अवीना इनसे मिलो, ये शर्मिला है, इंटीरियर डिज़ाइनर है। मैं शिमला के पास जो जमीन खाली पड़ी है उस पर होटल बनाने की सोच रहा हूँ। शर्मिला हमारे नए फ्लैट का इंटीरियर कर रही है। काम पसंद आया तब पूरे होटल का इंटीरियर शर्मिला करेगी। शर्मिला मीट माई वाइफ अवीना।"
शर्मिला ने अवीना को देखकर कुछ नही कहा लेकिन मन ही मन सोचने लगी कि किस आइटम से अतुल ने शादी की है। कहाँ अतुल और कहाँ यह फुटबॉल। अवीना भी शर्मिला को देखकर सोचने लगी कि अतुल को कोई और इंटीरियर डिज़ाइनर नही मिला। यह इंटीरियर डिज़ाइनर है या आइटम गर्ल। शर्मिला के जाने के बाद अवीना ने अतुल को पकड़ लिया।
"अतुल इस आइटम गर्ल को कहाँ से पकड़ कर लाए हो। कोई और नही मिला था।"
"अवीना वह इंटीरियर डिज़ाइनर है उसके काम की कद्र करो। उसके कपड़ों को देख कर जलो मत, उसकी फिगर है वह ऐसे कपड़े पहन सकती है। उस पर जंच रहे थे। कपड़े उसके व्यक्तित्व को निखार रहे थे।"
"क्या बात है उसकी जम कर तारीफ हो रही है। ऐसे उत्तेजक कपड़े पहन कर ऑफिस के काम करते पहली लड़की देख रही हूँ। इसके साथ काम का ही मतलब रखना, गले लगने की जरूरत नही है।"
"अवीना तुम बेकार की बातें छोड़ कर उसका काम देखो।"
"वो तो देखना ही है।"
नए फ्लैट के इंटीरियर के सिलसिले में अवीना और अतुल का शर्मिला से अब हर दूसरे दिन मिलना होता था। शर्मिला अंग प्रदर्शित कपड़ों में आती तो अवीना के तन बदन में आग लग जाती।
"अतुल मुझे इस आइटम गर्ल से कोई काम नही करवाना है। तुम इसका हिसाब करके तुरंत कोई दूसरा इंटीरियर डिज़ाइनर नियुक्त करो। मैं उसकी शक्ल नही देखना चाहती हूँ।"
अवीना की धमकी के बाद अतुल ने शर्मिला को घर आने से मना कर दिया। वे घर से बाहर मिलने लगे। घर पर काम के लिए शर्मिला का पति सुभाशीष आने लगा।
"अतुल यह शुभाशीष अधिक अक्लमंद है। उस आइटम गर्ल से अधिक काम का अनुभव रखता है और सिर्फ काम की बात करता है। आइटम गर्ल से अधिक तो उसका नौकर काम जानता है।"
"अवीना वो नौकर नही है, सुभाशीष शर्मिला का पति है और कंपनी का मालिक है।"
"पति।" अवीना यह सुनकर आश्चर्यचकित हो गई। "बड़ा लल्लू सा पति है, उसका नौकर लगता है।"
"अवीना कंपनी का मालिक है वो सुभाशीष। शर्मिला तो नौकरी करती थी। दोनों ने शादी कर ली और अब कंपनी के क्लाइंट्स से शर्मिला मिलती है और काम तो सारा सुभाशीष ही करता है।"
"बड़ी बेमेल जोड़ी है। पैसे देख कर लल्लू से शादी कर ली।" अवीना ने मुँह बनाते हुए कहा।
अतुल हँस दिया लेकिन कुछ नही कहा। मन ही मन कहने लगा कि उसने भी तो अवीना के रुपये देखकर शादी की है और ऐश कर रहा है वरना एक मध्यवर्गीय परिवार की किसी लड़की से शादी करके कहीं नौकरी कर रहा होता। कोई अमीर लड़का भी मोटी फुटबॉल गोल मटोल से शादी करने को तैयार नही था तभी अतुल से शादी हुई थी, उसने भी शादी के लिए बहुत पापड़ बेले हैं और खूबसूरत युवती से चाह को बलि पर चढ़ा दिया था। शर्मिला ने भी वही किया, सुभाशीष की दौलत देख कर लल्लू से शादी कर ली।
दुनिया के नियम भी अजीब हैं, अजीब तो क्या कहें, जब हम स्वयं प्रकृति के सिद्धांत को तोड़ कर लालच करते हैं तब समाज के बनाये नियम टूट जाते हैं। पुरानी खवाहिश को पंख लगने में अधिक देर नही लगती है। दबी खवाहिश उन्मुक्त आकाश की ऊंचाइयों को छूने के लिए उड़ने लगती हैं। कुछ ऐसा ही अतुल और शर्मिला के संग हुआ। दो खूबसूरत प्राणियों ने प्रकृति के नियम की अनदेखी करके भौतिक सुख की प्राप्ति की खातिर बेमेल विवाह किया। अब दोनों के पास ऐशो आराम की हर चीज मौजूद है और व्यवसायिक कारण से एक दूसरे से मुलाकात हुई और खूबसूरत देह के आकर्षण में बंध कर एक दूसरे के नजदीक आते गए।
अवीना की टोकाटाकी से शर्मिला अतुल के घर और ऑफिस में नही आती थी, वे दोनों अक्सर बाहर मॉल में लंच समय मे मिल कर एक साथ रेस्तौरेंट में बैठ कर एक दूसरे की आँखों में डूब जाते।
आज बहुत समय बाद अतुल शर्मिला को घर ले कर आया था। हालांकि अवीना के आने से पहले शर्मिला वहाँ से चली गई थी और कमला कोयल के साथ मजे लेकर अतुल और आइटम गर्ल शर्मिला के प्रेमालाप की बातें कर रही थी, उसी समय अवीना वापिस आई। गली में एक टेम्पों ने रास्ता रोका हुआ था जिस कारण अवीना की कार कोयल के ठिये पर रुक गई। कमला और कोयल मस्ती में मजे लेकर बातें कर रहे थे कि चाहे अमीर मरदुआ हो या गरीब, सारे दूसरी औरतों के चक्कर में है। कमला को अवीना की कार का अहसास नही हुआ। कमला के मुँह से अतुल और आइटम गर्ल शर्मिला की बात सुनकर अवीना जलभुन गई और तुरंत अतुल को घर आने को कहा।
"डार्लिंग मैं ऑफिस में काम कर रहा हूँ और अकेला बैठा हूँ।"
अवीना दनदनाती हुई ऑफिस पहुंची और अतुल के ऊपर राशन पानी ले कर चढ़ गई "अतुल तुम अब भी आइटम गर्ल से मिलते हो?"
"यह तुम्हें क्या हो गया है अवीना, कूल डाउन डार्लिंग।"
"आइटम गर्ल यहाँ आई थी।"
"तुम खामख्वाह परेशान हो रही हो।"
"अतुल अगर मैंने तुम्हें आइटम गर्ल के साथ देखा तब तुम्हें छोडूंगी नही।"
अवीना ने कमला को आवाज दी "मुई वहाँ धोबन के पास खड़ी हो कर क्या डांस कर रही है, इधर आ।"
कमला मटकती हुई गाना गुनगुनाते हुए वापिस आई "जाए बसे परदेस बलमवा सौतन के भरमाए ना सन्देस ना कोई खबरिया, रुत आए रुत जाए... सजनवा बैरी हो गए हमार"
"तू फिर यह गाना गा रही है कितनी बार कहा है यह घटिया गाना मेरे सामने नही गया कर।"
अवीना कमला को डांटती रही और अतुल पिंजरे से बाहर निकल कर पूरा दिन आजादी से घूम कर रात को पिंजरे में आ जाता।
अतुल शिमला के पास होटल की जमीन दिखाने के बहाने शर्मिला को शिमला ले गया और तीन दिन एक दूसरे के हो गए। अतुल को अब अवीना की चिंता नही थी। हालांकि सारी संपत्ति अवीना के नाम ही थी लेकिन काफी दौलत उसने अपने नाम भी कर ली थी यही हाल शर्मिला का भी था। वह भी आर्थिक सम्पन्न हो गई थी।
होटल के निर्माण कार्य आरंभ होने पर अतुल अक्सर शिमला जाने लगा। अवीना के सामने अतुल और शर्मिला शिमला के होटल के इंटीरियर के सिलसिले में ऑफिस या घर पर नही मिलते थे। जब अतुल शिमला जाता तब शर्मिला भी उसके साथ जाती। इश्क और मुश्क छुपते नही हैं। उनकी महक हर सीमा पार करते हुए आसमान की ऊंचाइयों में बिखर जाती हैं।
अतुल के ऑफिस में स्टाफ दबी जबान में शर्मिला के प्यार के चर्चे करने लगे और अवीना के कानों में चर्चे चुभ गए। अब अवीना को कमला का गीत याद आने लगा "सजनवा बैरी हो गए हमार" अतुल के शिमला निकलते ही अवीना भी चुपचाप शिमला की ओर खुफिया तरीके से रवाना हो गई और शिमला टूर पर अवीना ने अकस्मात छापा मारा। दोनों होटल में एक दूसरे की बांहों में रंगरेलियां मना रहे थे। अवीना ने होटल में हंगामा कर दिया और अतुल और शर्मिला को भरे होटल में जलील कर दिया।
"अतुल तुमसे ऐसी उम्मीद नही थी कि एक आइटम गर्ल के चक्कर में मुझसे बेवफाई करोगे। मैंने पहले दिन ही तुम्हें इस आइटम गर्ल से दूर रहने को कहा था लेकिन तुम माने नही। अब दिल्ली चल कर तुम्हारा हिसाब करती हूँ।"
अवीना ने अपने पिता और भाई को फोन करके सभी बैंक खातों से अतुल के हस्ताक्षर हटवा दिए ताकि अतुल बैंक से कोई रकम न निकाल सके। शिमला के नजदीक जो होटल बन रहा था उसका मालिकाना हक भी अवीना का था और अतुल को सभी संपति से हाथ धोना पड़ा।
अतुल और शर्मिला अवीना के सामने चुपचाप खड़े रहे। अवीना ने अतुल को धमका दिया "घर में मत घुसना, रहो इस आइटम गर्ल के साथ।"
अतुल को धमका कर अवीना होटल के बाहर खड़ी कार में बैठ गई। कार ड्राइवर एफएम रेडियो सुन रहा था। गीत बज रहा था "सजनवा बैरी हो गए हमार" अवीना के कार में बैठते ही ड्राइवर ने रेडियो बंद कर दिया क्योंकि अवीना को पुराने गाने पसंद नही थे लेकिन आज यह सदाबहार गीत उसके हालात पर चोट कर रहा था कि अतुल बैरी हो गया।
"ड्राइवर गाना बंद मत करो, अच्छा गाना है।"
ड्राइवर ने रेडियो चालू किया। गाना अभी बज रहा था "सजनवा बैरी हो गए हमार...बसे परदेस बलमवा सौतन के भरमाए ना सन्देस ना कोई खबरिया, रुत आए रुत जाए ना कोई इस पार"
दिल्ली आने के बाद अतुल शर्मिला के फ्लैट में रहने लगा। अतुल ने अवीना से और शर्मिला ने सुभाशीष से तलाक की बात की लेकिन अवीना की तरह सुभाशीष ने आपसी सहमति से तलाक मना कर दिया।
"अतुल तलाक नही दूंगी। हिम्मत है तो कोर्ट से तलाक ले, आज तू जवान है, कल तो बुड्ढा होगा तब तक कोर्ट में तुझको टांग कर रखूंगी। जब सजनवा बैरी हो गया तब बैरी सजनी के भी तेवर देख।"
उन्मुक्त पक्षी ऊंची उड़ान पर नीचे नही देखते हैं और सोचते भी नही हैं कि शाम को अपने आशियाने में लौटना है जहाँ उनका कोई इंतजार कर रहा है। उन्मुक्त पक्षी दूर उड़ चले थे। पुराना आशियाना छोड़ कर एक नए आशियाना बसाने के लिए। "जाए बसे परदेस बलमवा सौतन के भरमाए"
–----------------
मनमोहन भाटिया
लेखक जीवन परिचय
नाम: मनमोहन भाटिया
जन्म तिथि: 29 मार्च 1958
जन्म स्थान: दिल्ली
शिक्षा: बी. कॉम. (ऑनर्स), हिन्दू कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय; एल. एल. बी., कैम्पस लॉ सेन्टर, दिल्ली विश्वविद्यालय
संप्रति: सृष्टी होटल प्राईवेट लिमिटेड में कंसलटेंट-फाईनेंस
अभिरूचियाँ: कहानियाँ लिखना शौक है। फुर्सत के पलों में शब्दों को जोडता और मिलाता हूं।
प्रकाशित रचनायें:
कहानियाँ:
सरिता, गृहशोभा, प्रतिलिपि, जयविजय, सेतु, dawriter.com, अभिव्यक्ति, स्वर्ग विभा, अनहद कृति और नवभारत टाईम्स में प्रकाशित
संग्रह "भूतिया हवेली" सितंबर 2018 प्रकाशक "फ्लाई ड्रीम्स पब्लिकेशन्स"
संग्रह "रिश्तों की छतरी" मार्च 2019 प्रकाशक "फ्लाई ड्रीम्स पब्लिकेशन्स"
महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय की वेबसाईट hindisamay.com में कहानी संकलन। लिंक: http://www.hindisamay.com/writer/writer_details.aspx?id=1316
राजकमल प्रकाशन की डॉ. राजकुमार सम्पादिक पुस्तक "कहानियां रिश्तों की - दादा-दादी नाना-नानी" में कहानी "बडी दादी" प्रकाशित। ISBN: 978-81-267-2541-0
बोलती कहानी “बडी दादी” स्वर “अर्चना चावजी” रेडियो प्लेबैक इंडिया पर उपलब्ध। लिंक: http://radioplaybackindia.blogspot.in/2014/01/badi-dadi-by-manmohan-bhatia.html
कहानी "रोमांच" स्वर "करन गुप्ता" प्रतिलिपि पर उपलब्ध।
कहानी “ब्लू टरबन” का तेलुगु अनुवाद। अनुवादक: सोम शंकर कोल्लूरि। लिंक: http://eemaata.com/em/issues/201403/3356.html?allinonepage=1
कहानी “अखबार वाला” का उर्दू अनुवाद। अनुवादक: सबीर रजा रहबर (पटना से प्रकाशित उर्दू समाचार पत्र इनकलाब के संपादक) बिहार उर्दू अकादमी के लिए।
प्रतिलिपी वेबसाईट pratilipi.com में कहानी संकलन। लिंक:
http://www.pratilipi.com/author/4899148398592000
प्रतिलिपी साहित्यिक गोष्ठी यूटयूब पर
सहोदरी लघुकथा में दो लघुकथाएं “अहंकार और मोबाइल लत” (भाषा सहोदरी हिंदी द्वारा प्रकाशित)
लघुकथा - 2 में "चौपाल, प्रेम वाला खाना और जुर्माना" (भाषा सहोदरी हिंदी द्वारा प्रकाशित)
कहनीं - 2 में "अच्छा भूत" (भाषा सहोदरी हिंदी द्वारा प्रकाशित)
में धूप तो होगी में "सत्य है, हौसला" (श्री सत्यम प्रकाशन)
जिन्दगी का में "मौसा जी की जय" (श्री सत्यम प्रकाशन)
गूगल प्ले स्टोर पर कहानियों का संग्रह कथासागर। लिंक: https://play.google.com/store/apps/details?id=com.abhivyaktyapps.hindi.stories
हिन्दुस्तान टाईम्स, नवभारत टाईम्स, मेल टुडे और इकॉनमिक्स टाईम्स में सामयिक विषयों पर पत्र
संपादन:
प्रभाकर पाण्डेय की पुस्तक "ब्रह्म पिशाच" प्रकाशक फ्लाई ड्रीम्स पब्लिकेशन्स
सम्मान एवं पुरस्कार:
दिल्ली प्रेस की कहानी 2006 प्रतियोगिता में 'लाईसेंस' कहानी को द्वितीय पुरस्कार
अभिव्यक्ति कथा महोत्सव - 2008 में 'शिक्षा' कहानी पुरस्कृत
प्रतिलिपि सम्मान – 2016 लोकप्रिय लेखक
काव्य रंगोली साहित्य भूषण सम्मान 2017
जय विजय रचनाकार सम्मान 2017 (कहानी विधा)
भाषा सहोदरी हिंदी प्रशस्ति पत्र (जनवरी 2018)
संपर्क: बी – 1/4, पिंक सोसाइटी, सेक्टर - 13, रोहिणी, दिल्ली - 110085
वेब साईट:
https://manmohanbhatia.blogspot.com/
https://manmohanbhatialetters.blogspot.com/
https://www.facebook.com/manmohan.bhatia.31
https://play.google.com/store/apps/details?id=com.abhivyaktyapps.hindi.stories
ई-मेल: manmohanbhatia@hotmail.com
टेलीफोन: +919810972975
बी-1/4, पिंक सोसाइटी
सेक्टर 13, रोहिणी
दिल्ली 110085
फोन 9810972975