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मंजुला भूतड़ा

मेरी कलम--मेरा वेलेंटाइन


माना कि बहुत सुन्दर हो, अद्भुत और आकर्षक भी,

मेरे भावों के उद्वेग को झेलना आता है तुम्हें।

कभी प्रतिकार नहीं बल्कि हमेशा दिया साथ ही,

तुम में भरी है रंगीनियत,नीलाभ सा अंतर्मन।

कोई जितना चाहे रंग बिखेरे, तुम्हारा है खुला निमंत्रण।

मेरे मन के भाव बखूबी बयां होते तुमसे,

कोई कितनी भी कोशिश कर ले,

तुम पर है मेरा पूर्ण नियंत्रण।

टूट नहीं सकता यह संयम, क्योंकि है अपनापन।

मेरी जिन्दगी का महत्वपूर्ण हिस्सा हो तुम,

मेरी अभिव्यक्ति का माध्यम हो तुम।

तुम हो मेरी कलम,मेरी प्रिय कलम।

 

manjulabhootra@gmail.com

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