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महामारी के दिनों में ... सुदर्शन वशिष्ठ की "कोरोना कविता 3/3"

  • सुदर्शन वशिष्ठ
  • 7 मई 2020
  • 2 मिनट पठन

एकांत और शांति शब्द हैं अलगअलग

जैसे स्वाद और अवसाद हैं अलगअलग

क्वारेंटीन तो मेडिकल टर्म है

अलग रहने की

तनहाई भी कुछ और है

तो जुदाई भी कुछ और है।

आइसोलेशन भी एकांत नहीं

ये अमीरों के लिए हाउस अरेस्ट

ग़रीबों के लिए बेड रेस्ट।

हां, सन्नाटा पसरा है इस संकटकाल में

जिसमें सूखा पत्ता भी

गिरने पर करता है आवाज़।

आपदकाल के एकांगी और क्रूर समय में

रहना है दूर दूर

जबकि निकटता चाहता है मनुष्य

जानवर भी बैठता है सट कर।

छाती पर है पत्थर भर बोझ

मन पर चिंताओं का डेरा

कुछ नहीं सूझ रहा फिलहाल

हो रहा हाल बेहाल।

नंगे पांव बदहवासी में भाग रहे लोग

कि कहा जा रहा उन्हें मूढ़ गंवार

जो ढूंढ रहे अपना चूल्हा और घरद्ववार

नहीं बीमार पर हो गई ग़रीबमार।

ऐसे में दूर आकाश में उड़ रहे पंछी

वनपशु घूम रहे स्वछंद

चल रहा पवन मंद मंद

गेट के बाहर दूर बैठा संक्रामित डाक्टर

पूछ रहा बीवी बच्चों की पसंद।

कहते हैं समय है बलवान

आज चंडीगढ़ की सड़कों पर घूम रहे

बाघ और हिरण

हरिद्वार में नहा रहे हाथी

कभी रामायण देखते, लग जाता कर्फ्यू

आज कर्फ्यू में देख रहे रामायण।

जब सहम रहे लोग कोरोना के नाम से

क्या कोई सांप, बाघ, चीता आदमखोर!

छोटी आंखों वाला अदृश्य नरपिशाच!

कोरोना वायरस के चलते

एंकर बहस रहे टीवी के भीतर

सज धज कर, कोरोना के धर्म पर

गुर्रा रहे, गुस्सा रहे

रचना समय नहीं है यह फिर भी

मेरे जैसे साहसी कोरोना कवि घर में दुबके

रच रहे कोरोना कविताएं।

परिचय

24 सितम्बर 1949 को पालमपुर (हिमाचल) में जन्म। 125 से अधिक पुस्तकों का संपादन/लेखन।

वरिष्ठ कथाकार। अब तक दस कथा संकलन प्रकाशित। चुनींदा कहानियों के पांच संकलन । पांच कथा संकलनों का संपादन।

चार काव्य संकलन, दो उपन्यास, दो व्यंग्य संग्रह के अतिरिक्त संस्कृति पर विशेष काम। हिमाचल की संस्कृति पर विशेष लेखन में ‘‘हिमालय गाथा’’ नाम से सात खण्डों में पुस्तक श्रृंखला के अतिरिक्त संस्कृति व यात्रा पर बीस पुस्तकें। पांच ई-बुक्स प्रकाशित।

संस्कृति विभाग तथा अकादमी में रहते हुए सत्तर से अधिक पुस्तकों का संपादन/प्रकाशन।

जम्मू अकादमी (’’आतंक’’ उपन्यास), हिमाचल अकादमी (‘‘आतंक उपन्यास तथा‘‘जो देख रहा हूं’’ काव्य संकलन), तथा, साहित्य कला परिषद् दिल्ली(‘‘नदी और रेत’’ नाटक) पुरस्कत। ’’व्यंग्य यात्रा सम्मान’’ सहित कई स्वैच्छिक संस्थाओं द्वारा साहित्य सेवा के लिए पुरस्कृत।

अमर उजाला गौरव सम्मानः 2017। हिन्दी साहित्य के लिए हिमाचल अकादमी के सर्वोच्च सम्मान ‘‘शिखर सम्मान’’ से 2017 में सम्मानित।

कई रचनाओं का भारतीय तथा विदेशी भाषाओं में अनुवाद। कथा साहित्य तथा समग्र लेखन पर हिमाचल तथा बाहर के विश्वविद्यालयों से दस एम0फिल0 व दो पीएच0डी0।

पूर्व सदस्य साहित्य अकादेमी, दुष्यंत कुमार पांडुलिपि संग्रहालय भोपाल।

पूर्व सीनियर फैलो: संस्कृति मन्त्रालय भारत सरकार, राष्ट्रीय इतिहास अनुसंधान परिषद्, दुष्यंतकंमार पांडुलिपि संग्रहालय भोपाल।

वर्तमान सदस्यः राज्य संग्रहालय सोसाइटी शिमला, आकाशवाणी सलाहकार समिति, विद्याश्री न्यास भोपाल।

पूर्व उपाध्यक्ष/सचिव हिमाचल अकादमी तथा उप निदेशक संस्कृति विभाग।

सम्प्रति: ‘‘अभिनंदन’’ कृष्ण निवास लोअर पंथा घाटी शिमला-171009.

94180.85595, 0177-2620858

vashishthasudarshan@yahoo.com

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