माँ की महिमा
- कुमार किशन कीर्ति
- 10 मई 2020
- 1 मिनट पठन

माँ की महिमा का क्या बखान करूँ?
क्या लिखूं?किन शब्दों में बयां करूँ?
देवगण भी माँ की सेवा करते हैं
स्वर्ग से बढ़कर सुख
माँ की आँचल में पाते हैं
माँ की आशीष जो मिल जाए
सारी दुर्गुण, असफलता दूर हो जाए
माँ को रुलाकर
जो भगवती की आराधना करते है
सच मे,माँ भगवती की
आशीष से वंचित रह जाते है
माँ की महिमा ही कुछ ऐसा है
सन्तान की समय तो क्या?
तकदीर ही बदल जाती है
मैंने ईश्वर को नहीं देखा है
लेकिन, माँ को ही ईश्वर
का स्वरूप माना है
पीड़ा सहकर अपनी
अभिलाषाओं को दबाकर
संतानों को सुख देती हैं माँ
माँ की महिमा ही कुछ ऐसी है
कितना भी लिखूँ
शब्द कम ही लगते हैं
कुमार किशन कीर्ति
psonukumar80@gmail.com
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