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  • मुक्ता सिंह ज़ौक्की

प्रौम्प्ट्स विशेषांक

जनवरी अंक में हमने ऐलान किया था कि ई-कल्पना वॉल्यूम 2 के लिये हमें बेहतरीन कहानियों की तलाश है, कि हम वही कहानियाँ प्रकाशित करेंगे जिनकी भाषा हमें आकर्षित कर जाएँ और जिनका कथानक दिलचस्प और अर्थपूर्ण हो. और देखिये पहले हफ़्ते में ही आपने हमें इतनी सारी ऐसी कहानियाँ भेज दी हैं जिनकी आवाज़ में जादु है, कथानक या तो मनोरंजक हैं या आश्चर्यचकित कर देने वाले हैं. अब हम उन कहानियों को आपके सामने पेश करने के लिये उतावले हो रहे हैं. हमारा अनुमान था कि जुलाई में ही वॉल्यूम 2 का पहला अंक तैयार हो पाएगा. लेकिन अब वॉल्यूम 2 का पहला अंक मार्च से जारी होगा.

लेखकों का रिस्पौंस देखने से हमें लग रहा है शायद हमारी ये अच्छी कहानियाँ पढ़ने और सुनाने की कोशिश सफल हो सकती है. पहला अंक प्रकाशित होने से पहले (जनवरी और फ़रवरी के दौरान) हम दो या तीन प्रमोशनल न्यूज़लैटर (प्रेरणा अंक) भेजेंगे. इनमें वॉल्यूम 1 की बेहतरीन कहानियाँ (ई-बेहतरीन) प्रोफ़ाईल की जाएँगी. ई-प्रेरणा के इस अंक में हमने मार्च 2016 के अंक की तीन कहानियाँ दुबारा याद दिलाई हैं.

कुछ प्रौम्प्ट (कहानी लिखने के प्रेरणा-वाक्य) भी होंगे. शायद किसी को उन्हीं को पढ़ कर नई कहानी की प्रेरणा मिल जाए. आपसे भी निवेदन है नई कहानी लिखने के लिये प्रेरणा-वाक्य सूझें तो ज़रूर भेजिये. हम उन्हें पत्रिका में प्रकाशित करेंगे.

ई-कल्पना का प्रमुख उद्देश्य कहानी लेखन को प्रोत्साहन देना है. इसलिये पत्रिका में हम केवल 1000-6000 शब्द की कहानियाँ ही प्रकाशित करेंगे. लघु कथाएँ (1000 शब्दों से कम) और कविताएँ ई-कल्पना के फ़ेसबुक पेज में प्रकाशित करेंगे.

स्वीकृत कहानियों को मानदेय देने का विचार हमें ई-कल्पना की शुरुआत से ही था. अब सम्भव हो गया है. हमें लगता है कि लेखकों को पारिश्रमिक मिलना ज़रूरी है. इससे उनका मान बढ़ता है, लिखने का उत्साह आसमान छू जाता है. कहानियों का स्तर बढ़ता है. लोग चिंतन के लिये भी समय निकालते हैं. पाठकों के विचार सुलझते हैं. समाज में शांति और समाज के लोगों की उदारता बढ़ जाती है. अच्छी कहानियों से फ़िल्मों के स्तर भी बढ़ जाते हैं. हम अच्छा पढ़ने के अलावा उच्च कोटि की फ़िल्में देख पाते हैं ... एक छोटा सा कदम कितनी सारी बढ़िया बातें शुरू कर सकता है.

साहिर लुधियानवी ने एक ज़िद पकड़ कर फ़िल्म-दुनिया में एक नया चलन शुरू करा दिया था और तब से जब भी रेडियो, टीवी या अन्य माध्यम में कोई हिन्दी गीत प्रस्तुत किया जाता है, तो गायक, गीत-निर्देशक और फ़िल्म के अलावा गीतकार (यानि लेखक) का नाम भी बताया जाता है. साहिर लुधियानवी ने हम सब को छुआ है. इस अंक में उनकी एक कृति प्रस्तुत कर रहे हैं.

अंत आपको ये याद दिलाते हुए कर रहे हैं कि अपनी सबसे बेहतरीन कहानी भेजते रहिये, हम इंतज़ार करेंगे. या साहिर लुधियानवी के शब्दों में ... ( नीचे विडियो में सुनिये)

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