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  • ई-कल्पना सम्पादकीय

ई-कल्पना के पाठकों व लेखकों के लिये सम्पादक का खत –

फरवरी 2016 में जब हमने अपना पहला अंक प्रकाशित किया था, तब हमारा उद्देश्य उच्च-स्तरीय और मनोरंजक हिन्दी कहानियों को प्लेटफौर्म देना था. तब इंटरनैट में हिन्दी की कई और अच्छी लिटरैरी पत्रिकाएं थीं. आज और भी बढ़ गई हैं. उम्मीद है कि ये संख्या लगातार बढ़ती रहेगी. पाठकों और लेखकों के लिये ये एक विन-विन स्थिति है. हिन्दी साहित्य के लिये भी शायद अच्छी रहे, कामना है.

इस दौरान हमने बहुत सारी बेहतरीन कहानियां पढ़ीं और प्रकाशित कीं. इन्हें हमने “पांच कहानियां” सीरीज़ में संगठित किया है. समय मिलने पर इस लिंक पर ज़रूर जाएं और कहानियों का आनंद उठाएं.

ये बात हम कई बार कह चुके हैं कि अच्छे साहित्य को प्रोत्साहन देने के लिये कहानीकारों को पारिश्रमिक देना ज़रूरी है. 2017-18 में हमने ई-कल्पना में स्वीकृत हर कहानी को मानदेय दिया था, कुल मिला कर 40 कहानीकारों को 2 लाख रुपये से ऊपर पारिश्रमिक दे कर सम्मानित किया था. इसका फल आप हमारी कहानियां पढ़ कर देख सकते हैं.

अब 2019 में कुछ महीनों के हायटस के बाद हम दुबारा कहानियाँ पेश कर रहे हैं. जैसा कि हम पिछले महीने बता चुके हैं, सबसे बेहतरीन 2 कहानियों और एक लघु कहानी को कैश प्राइज़ से सम्मानित किया जाएगा. इन कहानियों को जुलाई 2019 के “पांच कहानियां” में प्रकाशित किया जाएगा.

आपने अगर अपनी कहानी भेज दी है तो बहुत धन्यवाद.

अगर आप इस जुलाई अंक के लिये अपनी कहानी भेजना चाहते हैं, तो आपके पास 31 मई तक का समय है. भेजिये.

यदि आपकी कहानी 31 मई तक तैयार न हो पाए, तो आगे आने वाली अगली प्रतियोगिता के लिये अपनी कहानी तैयार कीजिये. हमें इंतज़ार रहेगा.

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कहानी -2

मानदेय के विषय में -

·        लेखक के काम का मूल्य होता है, इसलिये हर स्वीकृत कहानी को हम मानदेय देते हैं. ·        ये ज़रूरी है कि कहानी मौलिक हो और पूर्व प्रकाशित न हो ·        हर स्वीकृति पत्र में हम लेखक से प्रकाशन की

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