पेड़ हैं सजग प्रहरी,
अविराम अपनी लड़ाई में संलग्न,
एक कर्तव्यनिष्ठ सैनिक की भांति।
पेड़
घबराते नहीं हैं,
पतझड़ उनके पत्तों को झड़ा दे,
या फूल तोड़ दे,
पुनः असंख्य फूलों पत्तों के साथ,
हरियाली क़ायम रखते हैं।
पेड़
शान्त भाव सेनिरन्तर बढ़ते रहते हैं,
एक मोर्चे पर हार भी जाएं,
तो थोड़ा रुक कर कई मोर्चे खोल देते हैं।
पेड़
कोई एक डाल तोड़ देतो
वे अनेक जगहों से,प्रस्फुटित हो जाते हैं।
फूल समाप्त होने लगते हैं
तो पेड़फलों से लद जाते हैं।
पेड़
सशक्त निष्ठावान सेनापतिकी तरह पेड़,
हमारी रक्षा हेतु डटे रहते हैं।
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मंजुला भूतड़ा
manjulabhootra@gmail.com