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  • मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

संसार (हाइकू)

नशा जो किया

फिरे भीख मांगता

घर बर्वाद |

रिश्वतखोरी

भरे घड़ा पाप का

डर काल से |

मारे उबाल

भारत में अब भी

व्यक्ति की जात |

वो जी रहे हैं

शोषण सहकर

भूख मारके |

कैसा विकास

गरीब हाशिए पे

गाँव निराश |

नोट खाकर

श्रीमान् मालामाल

जन बेहाल |

देश के नेता

जहर उगलते

राज करते |

चारों तरफ

मचा है हाहाकार

जन लाचार |

धुआँ निकला

आज चूल्हा सुलगा

रोटी गरीब |

ईमानदारी

अब कहीं न दिखे

फले बेमानी |

 

- मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

ग्राम रिहावली, डाक तारौली गूजर,

फतेहाबाद, आगरा, 283111

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