एक वृक्ष की तरह होते हैं पिता विघ्न-बाधाओं को झेलकर कुटुम्ब को पालते हैं पिता सारी समस्याओं को सुलझाकर चेहरें पर हँसी लाते हैं पिता अपनी अभिलाषाओं को दबाकर
बेटे-बेटियों की खुशियों को चाहते हैं पिता,इसलिए तो देवतुल्य होते हैं पिता एक पिता का कुटुम्ब ही उसका संसार होता हैं और उसी संसार में अपनी प्रेम समर्पित कर देते हैं पिता
कुमार किशन कीर्ति
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