हिंदी हिंद की शान है,
भारतदेश की पहचान है |
शुद्ध-सरल प्रगति की भाषा -
हिंदी हिंद की जान है ||
आओ साथी सपने सजायें,
हिंदी को एक नई पहचान दिलायें |
हृदयों के सारे भेद मिटाकर -
हम सब हिंदीमय हो जायें ||
हिंदी की व्यथा सुनो सब जन,
क्यों भेद बनाये हैं मन-मन ?
सब भेद मिटाकर कदम बढ़ायें साथ-साथ,
विश्व में हमें तभी मिलेगा मान-सम्मान ||
हिंदी का वैभव अमर है,
हिंदी से ही छू सकेंगे शिखर है |
आओ सभी साथी माँ भारती के आँचल तले -
अपनी एकता से ही क्षण-क्षण त्यौहार है ||
- मुकेश कुमार ऋषि वर्मा
ग्राम रिहावली, डाक तारौली,
फतेहाबाद, आगरा, 283111,उ.प्र.