1. सूरज चमको न!
सूरज चमको न
अँधकार भरे दिलों में
चमको न सूरज
उदासी भरे बिलों में
सूरज चमको न
डबडबाई आँखों पर
चमको न सूरज
गीली पाँखों पर
सूरज चमको न
बीमार शहर पर
चमको न सूरज
आर्द्र पहर पर
सूरज चमको न
अफ़ग़ानिस्तान की अंतहीन रात पर
चमको न सूरज
बुझे सीरिया और ईराक़ पर
जगमगाते पल के लिए
अरुणाई भरे कल के लिए
सूरज चमको न
आज
2. डर
तुम डरते हो
तेज़ाबी बारिश से
ओज़ोन-छिद्र से
मैं डरता हूँ
विश्वासघात के सर्प-दंशों से
बदनीयती के रिश्तों से...
तुम डरते हो
रासायनिक हथियारों से
परमाणु बमों से
मैं डरता हूँ
मूल्यों के स्खलन से
स्वतंत्रता के हनन से...
तुम डरते हो
एड्स से
कैंसर से
मृत्यु से
मैं डरता हूँ
उन पलों से
जब जीवित होते हुए भी
मेरे भीतर कहीं कुछ
मर जाता है
3. सच्चा प्यार
ओ प्रिये
मैंने कहा --
मैं तुमसे
सच्चा प्यार करता हूँ
तुम बोली --
सबूत दो
तो सुनो प्रिये --
तुम मेरा
'लाइ-डिटेक्टर टेस्ट' ले लो
फिर तुम जान जाओगी
कि तुम्हारे प्रति
मेरा प्यार सच्चा है
या फिर
तुम्हारे वियोग में
मैंने जो आँसू बहाए हैं
उन्हें तुम
प्रयोगशाला की टेस्ट-ट्यूबों में
भर कर
एलेक्ट्रोन माइक्रोस्कोप के नीचे
उनका परीक्षण कर लो
मेरे उन आँसुओं में तुम्हें
तुम्हारे प्रति मेरे सच्चे प्यार के
असंख्य अणु तैरते मिलेंगे
इस कंक्रीट-जंगल में
जहाँ टेस्ट-ट्यूब बच्चों का
युग पल रहा है
मैं तुम्हें अपने प्यार के
सच्चा होने का
और कौन-सा सबूत दूँ ?
4. ढेंचू-ढेंचू
मैं भी बढ़िया , तुम भी बढ़िया
दोनों बढ़िया , ढेंचू-ढेंचू
राग अलापे , जो भी हम-सा
वह भी बढ़िया , ढेंचू-ढेंचू
मेरा खूँटा , मेरी रस्सी
यही है दुनिया , ढेंचू-ढेंचू
हम भी गदहे , तुम भी गदहे
जग गदहामय , ढेंचू-ढेंचू
यदि तुम हिन-हिन करते हो तो
तुम घटिया हो , ढेंचू-ढेंचू
प्रेषकः सुशांत सुप्रिय
A-5001,
गौड़ ग्रीन सिटी ,
वैभव खंड ,
इंदिरापुरम ,
ग़ाज़ियाबाद - 201014
( उ. प्र. )
मो: 8512070086
ई-मेल: sushant1968@gmail.com