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  • डॉ. अमरजीत टांडा

कमी सी होती है

कमी सी होती है हर ख़ुशी में ऐसे नहीं खुदकुशी करते आंसू ऐसे नहीं फैल जाता दिल सिसकी कब सोती है गहरी नींद ओढ़े भूखे बच्चों वाले परिंदे कब बैठते हैं शाखाओं पर चैन से

चुप चाप बैठा था सूरज चांद भी सोया नहीं था कौन पूछता है जिंदगी के गीतों के आंसू

और कैसे जम सकती है गर्द पलकों पे ख़्वाब मर सकते हैं राहों में कोई तो भूला होगा कोई दोस्त तो वापस परता होगा बिन गले लगे दरों से किसी रात का आलम तो मरा होगा इश्क में

ऐसे नहीं फैलती सनसनी शहरों में ऐसे नहीं जलते फूल पत्तियां रातों में

आग रहेगी फिर भी कहीं दबी दबी सी कोई शिकवा नहीं हसरतें राख हो गईं तो क्या हुआ

 

 

डॉ. अमरजीत सिंह टांडा प्रकाशन :पंजाबी के पाँच काव्य संकलन प्रकाशित – हवावां दे रुख, लिखतुम नीली बांसरी, कोरे कागज़ ते नीले दस्तख, दीवा सफ़ियां दा और सुलगदे हर्फ़ सम्मान : "हिन्द रत्न एवार्ड २०१०" द्वारा सम्मानित संप्रति : कीटवैज्ञानिक, कवि और समाज सेवक सदस्य : पंजाबी साहित्य अकादमी सिडनी और पंजाबी वेलफ़ेयर एंड कल्चरल एसोसिएशन ऑस्ट्रेलिया के संस्थापक अध्यक्ष इंडियन ओवरसीज़ कांग्रेस ऑस्ट्रेलिया के संस्थापक अध्यक्ष। ऑस्ट्रेलिया के केन्द्रीय चुनावों में तीन बार प्रत्याशी रहे। सम्पर्क : drtanda101@gmail.com

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