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  • विनय इन्दर

महामारी के दिनों में ... जारी है बहुत कुछ

लॉकडाउन नहीं हो सकता सब कुछ जहाँ में जारी है अभी बहुत कुछ

यादों का आना हवा का गुनगुनाना तितलियों का उड़ना गौरैयों का चहचहाना शाम का ढालना सूरज का निकलना फूल का खिलना पत्तों का गिरना बेलों का चढ़ना पौधों का बढ़ना नदियों का बहना और ओस का गिरना

हां हां अभी जारी है बहुत कुछ

हम दे सकते है किसी को दिल हम लगा सकते किसी में मन हम कर सकते है इबादत हम कर सकते है किसी की चाहत हम उकेर सकते है किसी का चित्र हम बिखेर सकते है हंसी हम गुनगुना सकते है राग हम बजा सकते है साज हम पढ़ सकते है किताब लिख सकते है आपने खाब हम सजा सकते है ख्याल हम खुद से पूछ सकते है सवाल

हां हां अभी जारी है बहूत कुछ

हमें लग सकती है भूख हम कर सकते है बात हम ले सकते है सांस हमारे जिस्म में बह रहा है खून

हां हां अभी जारी है बहुत कुछ

सिर्फ लॉकडाउन है तन पर मन पर नहीं लॉक डाउन को जिओ ......................

विनय इन्दर पन्तनगर उत्तराखंड yadavindar886@gmail.com

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