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अफ़सानों पर समय का वश नहीं होता ...

ऑडियो-कहानी
नीलम कुलश्रेष्ठ की
"उस महल की सरगोशियाँ"
December 7, 2018
ऑडियो-कहानी

हर्ष सेठ की "लोग"
December 17, 2018

ऑडियो-कहानी
पीयूष कुमार द्विवेदी 'पूतू' की कहानी "पापा का इंतज़ार"
January 5, 2019

ऑडियो-कहानी
महेश चन्द्र द्विवेदी की
"निर्दयी प्रकृति"
November 15, 2018
साक्षात्कार
जीना इसी का नाम है...
क़ैस जौनपुरी का साक्षात्कार

अपने बारे में क्या कहूँ! बस, 1985 में जौनपुर में पैदा हुआ. बचपन में गुब्बारे बेचता था. मेहनत-मज़दूरी करते हुए बड़ा हुआ. हाईस्कूल में था तब इंग्लिश के टीचर जनाब शुएब साहब ने इंजीनियरिंग की फ़ीस भर दी और मैं इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने बहराइच चला गया. फिर दिल्ली में नौकरी शुरू की और 2009 में एक इंजीनियर की हैसियत से लंडन गया. फ़िल्मों में लिखने का शौक़ था इसलिए लंडन की नौकरी छोड़के 2010 में बम्बई आ गया. यहाँ नौकरी के साथ-साथ लिखना जारी है. कहानियाँ-कविताएँ छपती रहती हैं. 2012 में एक नाटक लिखा ‘स्वामी विवेकानन्द’ जिसका पहला शो भाईदास हॉल, विले-पार्ले में हुआ. जल्दी ही कुछ नए नाटक भी आने वाले हैं. रेडियो सिटी पे तीन शो हो चुके हैं. कुछ फ़िल्मों पे भी काम चल रहा है. इंजीनियरिंग की नौकरी पसन्द नहीं आती है. कोशिश है कि जल्द से जल्द अपना पूरा समय लेखन को दे सकूँ.
ट्रेलर
चार प्रबल लेखिकाएँ