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मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

कैलंडर हो गया पुराना

कैलेण्डर हो गया पुराना साथ निभाके सुख-दु:ख में बीते वर्ष की यादें समेटकर कैलेण्डर हो गया पुराना ||

यूँ-यूँ सर्र से निकलना लगता है साल हो गई छोटी साल पुरानी बात लगे कल की कैलेण्डर हो गया पुराना ||

अच्छी-अच्छी यादों का आना दिल को सुकून मिलता है तारीख याद है मुझको कैलेण्डर हो गया पुराना ||

नन्हीं-नन्हीं मुन्नी का आना बन गयी साल यह खाश मुझको लगे ये कल की बात कैलेण्डर हो गया पुराना ||

गुजरे साल को न भूलना नये साल में करना पहले से अच्छा नए जोश में, नई उमंग में आगे बढ़ना सिर्फ कैलेण्डर हो गया पुराना ||

 

मुकेश कुमार ऋषि वर्मा गॉव रिहावली, डाक तारौली गुर्जर, तहसील फतेहाबाद, आगरा, 283111

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