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  • सुशील यादव

शहर में ...

वो भी खाने कमाने निकले

सौ- सौ जिनके ठिकाने निकले

#

हवा बदनाम वही करते जो

लगा कर आग बुझाने निकले

#

जितने सौदों में हाथ लगाते

उनके कई फसाने निकले

#

रिदा अभी ये खूब चलेगी

पैबन्द जरा लगाने निकले

#

नाकामी से वे क्या घिरते

कामयाब घराने निकले

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पांच साल की जिन्दा कौमे

गली-गली चिल्लाने निकले

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पंचायत से खौफ-जदा थे

शहर में ज्यादा थाने निकले

 

सुशील यादव दुर्ग

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