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शहर में ...

  • सुशील यादव
  • 29 सित॰ 2019
  • 1 मिनट पठन

वो भी खाने कमाने निकले

सौ- सौ जिनके ठिकाने निकले

#

हवा बदनाम वही करते जो

लगा कर आग बुझाने निकले

#

जितने सौदों में हाथ लगाते

उनके कई फसाने निकले

#

रिदा अभी ये खूब चलेगी

पैबन्द जरा लगाने निकले

#

नाकामी से वे क्या घिरते

कामयाब घराने निकले

#

पांच साल की जिन्दा कौमे

गली-गली चिल्लाने निकले

#

पंचायत से खौफ-जदा थे

शहर में ज्यादा थाने निकले

सुशील यादव दुर्ग

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