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आंखें

  • मुकेश कुमार ऋषि वर्मा
  • 20 दिस॰ 2017
  • 1 मिनट पठन

सच और झूंठ बताती आँखें | शर्म - हया दिखाती आँखें ||

मर जाये आँख का पानी, कठोर हृदय की पहचान कराती आँखें ||

प्यार - मुहब्बत की पहली सीढ़ी, शुरूआत कराती आँखें ||

घड़ियाली आंसुओं से बहुत दुःखी हो जाती आँखें ||

हृदय की तड़प से निकले आंसू, अमृत बना देती आँखें ||

बड़ी मासूम होती आँखें | सच और झूंठ बताती आँखें ||

मुकेश कुमार ऋषि वर्मा गॉव रिहावली, डाक तारौली गुर्जर, तहसील फतेहाबाद, आगरा, 283111

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