नील, पीत, हरित रंग हुलसित हिलोर संग होली के ढोल बाजें फागुनी बयार में
कोयल की कूक मधुर
मुदित मन उमंग आज
पिचकारी तेज धार रंग की बौछार डार नाज़-नखरे छोड़ चली प्रिय को मलने गुलाल
मन के गलियारों में धूम खूब मची आज
मेघा भिगोए गए रात ही समूच धरा आनन्द विभोर हुई चूनर छिटकाए हरा
टेसू के फूल खिले होली के रंग राज
सागर तरंग लहर झूम-झूम दौड़ रही इठलाती, बल खाती तट को भिगो रही
अम्बर भी हुआ लाल भीगीं सब गलियाँ आज
कौन मित्र, कौन शत्रु डालें गलबैय्याँ साथ भाँग पात्र लिए हाथ नाच रहे गाएँ फाग
मलयित फुहार में मधुर लागे प्रीत राग
छोड़ सभी काज आज बिसर गई लोक-लाज बीच राह पकड़ लई गोरी कलाई आज
साजे है रंग-अंग साजन का साथ आज
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कुसुम वीर
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