तुम साथ दो तो, मरने का अंदाज़ बदल देंगे,
यदि जिन्दा रख सको, तो जीकर दिखा देंगे।
मिल जाए यदि मेरे नेत्रों से, किसी को रोशनी,
तो मरणोपरांत भी देख सकूं, दुनिया की रंगीनी।
मेरा दिल किसी की धड़कनों में बस सके,
तो मैं मरकर भी जिन्दा रह सकूं।
मेरा लिवर,मेरी किडनी दे सके, किसी को जीवन,
अवश्य मदद करें, दें किसी को नवजीवन।
मेरे परिजन,पति, पत्नी, पिता, पुत्र, पुत्री और प्यारी माँ,
यदि मेरा अंश ही जीवित रह सके तो अनुमति दो न!
मेरी चाह तो है जीने की बहुत ही,
पर यदि न रह सकूं,तो आंशिक ही सही।
आयुष्मान होने का आशीष सार्थक करूं,
कितना अच्छा हो कि आपके बीच रह सकूं।
जीते जी कुछ नहीं किया तो मरणोपरांत ही सही,
तभी सम्भव है,दिल मजबूत करेंगे सभी।
मुझे अलविदा तो कहना ही होगा आपको,
अंगदान कर आपके बीच ही होने का, एहसास रहेगा आपको।
मंजुला भूतड़ा, इन्दौर
manjulabhootra@gmail.com