महामारी के दिनों में ... कविता "मनोव्यथा"
- मंजुला भूतड़ा
- 28 अप्रैल 2020
- 1 मिनट पठन

न तुम घर से निकलना न हम,
दूर से देखकर ही मुस्कुराएंगे तुम-हम।
बहुत याद आएगा यह मंजर भी,
अजीब से रिश्ते कर दिए हालात ने।
फुरसत में तो हैं मानो सब,
पर मिलने का नहीं कोई सबब।
कुदरत का कहर झेल रहा इन्सान,
जोखिम उठाकर चिकित्सक निभाते अपना ईमान।
कुछ सिरफिरों को नहीं दिखता इनमें भगवान,
सफाईकर्मी, पुलिस वाले फिक्र में हैं,
बचाने निकले हैं हर जान।
कोरोना का भय है,सब सुरक्षित घर में,
नमन है उन कर्मवीरों को, जो लगे हैं बीमारी के दमन में।
manjulabhootra@gmail.com
*मंजुला भूतड़ा* इन्दौर
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