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  • सुदर्शन वशिष्ठ

ठीक साल बाद


इतिहास अपने को दोहराता है

......इतनी जल्दी

ये सोचा ना था


ठीक साल बाद

आजकल के दिनों

फिर वही सुबह

जो लगता है हुई ही नहीं

सूनी सड़कें

दूर दूर तक कोई नहीं

मई के अंत में बाहर धुंध

काटती ठंडी हवाएं

कोरोना कर्फ्यू में

एक अकेला आदमी लंगड़ाता हुआ भी दौड़ा जा रहा

रिटायर्ड अफसर सा

डॉक्टर ने कहा है तेज़ चलने को

यदि जिन्दा रहना है


समुद्र में ताउते की धुंध पहाड़ों में पहुंची l

जैसे पहुंचा कोरोना

कोरोना है समदर्शी

नहीं कर रहा भेद अमीर गरीब

छोटे बड़े, शहर गाँव, जंगल पहाड़ में

सरहदें भी नहीं रोक पाईं इसे


अब नहीं आती सायरन बजाती एंबूलेन्स

जबकि हर घर में संक्रमित रहते

सामने तारादेवी का मंदिर खामोश है

घंटियाँ, जो बांध दी थीं पिछले साल

खुल नहीं पाईं


कुछ कौए, चिड़ियाँ, कबूतर चिल्ला रहे

कोई नहीं डाल रहा दाना

सब दुबके घरों के भीतर

की भीतर नहीं आएगा कोरोना

कोरोना है कि रुकता नहीं

दूर बर्फीले पहाड़ों तक जा चढ़ा


कहां गए वे कवि

जो लिखते थे परिंदोँ पर कविताएं

और वे, जो लिखते थे कामगरों पर कविताएं !


एकाएक मरने लगे हैं परिंदे

भागने लगे मज़दूर

नहीं बचेगा विषय तुम्हें लिखने को


युद्ध के मद में जो योद्धा चले हैं अश्व लिए

बढ़ानी हैं उन्होंने सीमाएं

चाहिए उन्हें मानव बलि


कवियो! तुम मत बंटो हिस्सों में

लड़ो एकसाथ बुरे दिनों के खिलाफ

सत्ताओं ने तुम्हें छला है हर समय

तुम्हारा वध किया है बार बार


तुम्हें भी नहीं मिलेगी समय पर दवाई

अस्पताल में बिस्तर

और ऑक्सीजन

साथी कवि लोग देंगें तुम्हें फेसबुक संवेदनाएं

गैरकवि नोटिस नहीं लेंगें


सत्ता गायन कर भी तुम नहीं बन पाओगे

सरकारी मरीज


 

सुदर्शन वशिष्ठ - परिचय


24 सितम्बर 1949 को पालमपुर (हिमाचल) में जन्म। 125 से अधिक पुस्तकों का संपादन/लेखन। वरिष्ठ कथाकार। अब तक दस कथा संकलन प्रकाशित। चुनींदा कहानियों के पांच संकलन । पांच कथा संकलनों का संपादन। चार काव्य संकलन, दो उपन्यास, दो व्यंग्य संग्रह के अतिरिक्त संस्कृति पर विशेष काम। हिमाचल की संस्कृति पर विशेष लेखन में ‘‘हिमालय गाथा’’ नाम से सात खण्डों में पुस्तक श्रृंखला के अतिरिक्त संस्कृति व यात्रा पर बीस पुस्तकें। पांच ई-बुक्स प्रकाशित। जम्मू अकादमी, हिमाचल अकादमी, तथा, साहित्य कला परिषद् दिल्ली से उपन्यास, कविता संग्रह तथा नाटक पुरस्कत। ’’व्यंग्य यात्रा सम्मान’’ सहित कई स्वैच्छिक संस्थाओं द्वारा साहित्य सेवा के लिए पुरस्कृत। अमर उजाला गौरव सम्मानः 2017। हिन्दी साहित्य के लिए हिमाचल अकादमी के सर्वोच्च सम्मान ‘‘शिखर सम्मान’’ से 2017 में सम्मानित। कई रचनाओं का भारतीय तथा विदेशी भाषाओं में अनुवाद। कथा साहित्य तथा समग्र लेखन पर हिमाचल तथा बाहर के विश्वविद्यालयों से दस एम0फिल0 व दो पीएच0डी0। पूर्व सदस्य साहित्य अकादेमी, पूर्व सीनियर फैलो: संस्कृति मन्त्रालय भारत सरकार, राष्ट्रीय इतिहास अनुसंधान परिषद्, दुष्यंतकंमार पांडुलिपि संग्रहालय भोपाल। वर्तमान सदस्यः राज्य संग्रहालय सोसाइटी शिमला, आकाशवाणी सलाहकार समिति, विद्याश्री न्यास भोपाल। पूर्व उपाध्यक्ष/सचिव हिमाचल अकादमी तथा उप निदेशक संस्कृति विभाग।

सम्प्रति: ‘‘अभिनंदन’’ कृष्ण निवास लोअर पंथा घाटी शिमला-171009. vashishthasudarshan@gmail.com

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