· लेखक के काम का मूल्य होता है, इसलिये हर स्वीकृत कहानी को हम मानदेय देते हैं.
· ये ज़रूरी है कि कहानी मौलिक हो और पूर्व प्रकाशित न हो
· हर स्वीकृति पत्र में हम लेखक से प्रकाशन की सूचना अपने मित्रों में सोशल मीडिया के ज़रिये प्रसारित करने की विनती भी करते हैं. इससे, पहले तो लेखक का उत्साह झलकता है, साथ में पत्रिका का भी प्रसार होता है. पत्रिकाओं को पाठकों की ज़रूरत है, यह एक लॉजिकल सच है. अकसर हमने देखा है कि लेखक सोशल मीडिया में सक्रिय होने के बावजूद ई-कल्पना में प्रकाशित अपनी कहानी साझा नहीं करते हैं. इसे हम केवल एक तरह से देखते हैं - कि लेखक ई-कल्पना को बॉयकौट कर रहे हैं. सामान्यतः हम उम्मीद करते हैं कि प्रकाशन के एक हफ्ते के दौरान लेखक कहानी को साझा कर अपना गर्व भी साझा करेंगे. इसलिये हमारे सम्पादक मंडल ने तय किया है कि यदि आप सोशल मीडिया में सक्रिय हैं और ई-कल्पना में प्रकाशित अपनी कहानी को साझा नहीं कर रहे हैं, तो यह आपकी मर्ज़ी है, लेकिन कहानी के मानदेय के वितरण में इसका असर पड़ सकता है.
ई-कल्पना
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