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  • सुदर्शन वशिष्ठ

साहित्यकारों को भी देगी सरकार नकद सम्मान



अब साहित्यकारों को भी सरकार देगी सम्मानजनक नकद राशि, नौकरी, अन्य सुविधाएं व अनेकनेक प्रलोभन.

विश्वसनीय सूत्रों से पता चला है कि साहित्यकारों का एक प्रतिनिधि मंडल सरकार से मिला और अपनी उपेक्षा का चर्चा किया. जब खेल में जीते खिलाडियों को सम्मान दिए जा रहे हैं तो उन्हें क्यों नहीं ! क्रिकेट से लेकर गर्म पिट्ठू तक के खिलाडी सम्मानित किए जा हैं, तेज दौड से ले कर जूं की चाल चलने वाले ईनाम पा रहे हैं तो क्या हमारा काम इन से किसी तरह कमतर है !

अरे ! हम तो “थिंक टेंक” हैं. बुधिजीवी हैं, मसीजीवी हैं. जिन्होंने कभी मसिकागद छूयो नहीं उन्हें लाखों और हमें धैला भी नहीं ! यह तो सरासर नाइंसाफी है.

प्रीतिनिधि मंडल में सरकार समर्थक या सरकार पक्षधर रचनाकार शामिल थे ताकि इसे सरकार विरोधी अभियान न मान लिया जाए.

‌“जाकि किरपा पंगू गिरि लंघे, अंधन को दरसाई”, के भाव से साहित्यकारों ने मांगों का मसौदा तैयार किया और सरकार को भेज दिया. भई जो सरकार तमाम अकादमियों को धन की थैली देती है, जिस सरकार के दम से तमाम ईनाम दिए जाते हैं, तमाम अनुदान दिए जाते हैं, वह सरकार क्या नहीं कर सकती !

साहित्यकारों का मानना था कि देश के खिलाड़ी, अनाड़ी, वैज्ञानिक, मेकेनिक, अध्यापक, नेता, अभिनेता को आकर्षक धनराशि दे कर सम्मानित किया जा रहा है. और तो और भिखमंगों को भी समुचित मान सम्मान दिया जा रहा है. एक साहित्यकार ही है जिस की पूछ नहीं हो रही.

सूत्रों के हवाले से ख़बर मिली है कि साहित्यकारों की इस मांग को संसद की सब कमेटी को सौंपा गया था जिसकी सिफारिशों पर सरकार ने मोहर लगा दी है.

सरकार साहित्यकार कोटे से किसी को थानेदार, किसी को डीo एसo पीo तो किसी को सचिव संस्कृति तक मनोनीत करेगी. साहित्य में प्रेम चंद परंपरा का सम्मान रखने के निमित्त किसी को मुंशी, किसी को दरोगा की उपाधि दी जाएगी. “कलम का दरोगा” एक नई उपाधि ईजाद की गई है.

अकादमियों की सदस्यता तो छोडिए जनाब ! संसद, विधान सभा, नगर निगम और पंचायतों तक में भी इन्हें मनोनीत किया जाएगा l

मनोनयन के साथ साहित्यकारों को अधिकतम एक करोड़ तक नकद राशि भी सरकार देगी l

सूत्रों के हवाले से पता चला है की सुयोग्य साहित्यकार को राजनैतिक सलाहकार की नियुक्ति भी दी जा सकेगी. भेंट में एक लगा लगाया प्रिंटिंग प्रेस दिया जाएगा जिससे प्रकाशकों से भी मुक्ति मिल जाए. सभी सरकारी पत्रिकाओं में उनकी रचनाएं मौटे पारिश्रमिक और फोटो सहित छापी जाएंगी. इन्हें अपनी पुस्तकें प्रकाशित करवाने के लिए प्रकाशकों को रायल्टी नहीं देनी पडेगी. सरकार अपने प्रकाशन विभाग से इन की पुस्तकें छपवाएगी.

हिंदी के जो विद्वान असली सरकारी विश्व हिंदी सम्मेलन से स्वर्ण मेडल लाए उन्हें दस लाख नकद ऒर जो नकली विश्व सम्मेलन से अपना पैसा खर्च सोने के पानी चढ़ा मेडल लाए उन्हें एक लाख केंद्र सरकार देगी. राज्य सरकार जो चाहे अपने अपने आर्थिक साधनों के अनुरूप अपने बजट से दे सकती है.

विदेशों में होने वाले सेमिनारों में चयनित होने वालों को दो लाख प्रोत्साहन राशि और विदेशी पत्रिकाओं में छपने वालों को एक लाख l क्षेत्रीय अकादमियों से पुरस्कार विजेताओं को दस लाख और केंद्रीय अकादमी से पुरस्कृत लेखकों को बीस लाख रुपए दिए जाएंगे l

विदेशी अकादमियों से पुरस्कृत साहित्यकारों को एक करोड़ रुपए तक प्रदान किए जाएंगे l

इस मुहिम में कुछ धनपति, कुछ उद्योग घराने, और कुछ सिने हस्तियां भी सामने आई हैं. बूटों की प्रसिद्ध कंपनी वुड्लैंड ने बीस लाख, कपड़ों की कंपनी बेनेटन ने तीस लाख की तो मक्खन उद्योग अमूल ने पचास लाख की निधि साहित्यकारों के लिए सुरक्षित रख दी है . उधर इंडियन ऑयल कोरपोरेशन ने पेट्रोल का एक टैंक, एचपी गैस एजेंसी ने गैस के पचास सिलेंडर रिजर्व कर दिए हैं. एक कार कंपनी ने बिना गेअर कारें, पेन कंपनी ने आटोमेटिक जैल-पेन, कागज उद्योग ने कई रिम आर्ट पेपर, एक कपडा कंपनी ने सिल्क के कितने ही धोती कुरते बनवा डाले हैं.

एक और मह्त्वपूर्ण फैसला हुआ है कि साहित्यकारों को उनके आवास स्थल से प्रदेश के नजदीकी बॉर्डर तक ले जायेगा और वहाँ से ढोल नागाड़ों के साथ स्वागत करते हुए बिना कोरोना टेस्ट पास के एंट्री दी जाएगी. राजधानी के कडक संपादक और बडे प्रकाशक उनका हार पह्ना स्वागत करेंगे नहीं तो उनकी सरकारी खरीद और ग्रांट बंद कर दी जाएगी. एक स्थापित आलोचक आंचल में अपना मुंह ढक कर उन्हें दूध पिलाएगा.

इलाके के विधायक और मंत्री वहाँ हाजिर रहेंगे. पुलिस के कडे प्रबंध सरकार करना सरकार का जिम्मा होगा ताकि कोई विवाद न हो जैसाकि हर पुरस्कार पर कर दिया जाता है.


 

परिचय



24 सितम्बर 1949 को पालमपुर (हिमाचल) में जन्म। 125 से अधिक पुस्तकों का संपादन/लेखन।

वरिष्ठ कथाकार। अब तक दस कथा संकलन प्रकाशित। चुनींदा कहानियों के पांच संकलन । पांच कथा संकलनों का संपादन।

चार काव्य संकलन, दो उपन्यास, दो व्यंग्य संग्रह के अतिरिक्त संस्कृति पर विशेष काम। हिमाचल की संस्कृति पर विशेष लेखन में ‘‘हिमालय गाथा’’ नाम से सात खण्डों में पुस्तक श्रृंखला के अतिरिक्त संस्कृति व यात्रा पर बीस पुस्तकें। पांच ई-बुक्स प्रकाशित।

भाषा संस्कृति विभाग हि0प्र तथा हिमाचल अकादमी में सेवा के दौरान

70 से अधिक पुस्तकों का संपादन/सहयोजन के अतिरिक्त:

समय के तेवर (काव्य संकलनः1984), खुलते अमलतास(कहानी संग्रहः1983), घाटियों की

गन्धः कहानी संग्रह:1985), काले हाथ और लपटेंः कहानी संग्रह(1985), दो उंगलियां और

दुष्चक्रः कहानी संग्रह(1985), पहाड़ गाथाःकहानी संग्रह(2016), हिमाचल प्रदेश के प्रतिनिधि

व्यंग्य, हिमाचल प्रदेश की प्रतिनिधि लोककथाएं(2020 में प्रकाश्य)।

जम्मू अकादमी (’’आतंक’’ उपन्यास), हिमाचल अकादमी (‘‘आतंक उपन्यास तथा‘‘जो देख रहा हूं’’ काव्य संकलन), तथा, साहित्य कला परिषद् दिल्ली(‘‘नदी और रेत’’ नाटक) पुरस्कत। ’’व्यंग्य यात्रा सम्मान’’ सहित कई स्वैच्छिक संस्थाओं द्वारा साहित्य सेवा के लिए पुरस्कृत।

अमर उजाला गौरव सम्मानः 2017। हिन्दी साहित्य के लिए हिमाचल अकादमी के सर्वोच्च सम्मान ‘‘शिखर सम्मान’’ से 2017 में सम्मानित।

कई रचनाओं का भारतीय तथा विदेशी भाषाओं में अनुवाद। कथा साहित्य तथा समग्र लेखन पर हिमाचल तथा बाहर के विश्वविद्यालयों से दस एम0फिल0 व दो पीएच0डी0।

पूर्व सदस्य साहित्य अकादेमी, दुष्यंत कुमार पांडुलिपि संग्रहालय भोपाल।

पूर्व सीनियर फैलो: संस्कृति मन्त्रालय भारत सरकार, राष्ट्रीय इतिहास अनुसंधान परिषद्, दुष्यंतकंमार पांडुलिपि संग्रहालय भोपाल।

वर्तमान सदस्यः राज्य संग्रहालय सोसाइटी शिमला, आकाशवाणी सलाहकार समिति, विद्याश्री न्यास भोपाल।

पूर्व उपाध्यक्ष/सचिव हिमाचल अकादमी तथा उप निदेशक संस्कृति विभाग।

सम्प्रति: ‘‘अभिनंदन’’ कृष्ण निवास लोअर पंथा घाटी शिमला-171009.

94180.85595 0177.2620858





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