ई-कल्पना
- 5 मार्च 2016
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आपकी कहानी
कोविड से संबंधित हो
एक अच्छी कहानी का स्वरूप बनाए रखें, यानी कि भाषा, विडम्बना, कथानक, इत्यादि न भूलें
कहानी ekalpanasubmit@gmail.com को भेजें.
हमेशा की तरह, कृपया ध्यान रखें कहानी पूर्व प्रकाशित न हो.
यूनिकोड फांट में हो.
(नोट – कृति देव यूनीकोड फांट नहीं है. कई लेखक हमें कृति देव में शायद यह सोचकर भेजते हैं कि इसे बस कनवर्ट ही तो करना है, कर लेंगे ये लोग. जी हाँ, यही करना पड़ता है हम लोगों को, क्योंकि हम आपकी कहानियाँ पढ़ने को अधीर हो रहे होते हैं. मगर यह बात भी सही है कि जब पढ़ने को बहुत सारी कहानियाँ होती हैं, तो वो कहानियाँ जो कृति देव में टंकित की जाती हैं, कई बार रह जाती हैं.)
2023 में ई-कल्पना पत्रिका में कोविड संबंधी कहानियाँ प्रकाशित होंगी. कृपया अपनी कहानियाँ भेजें.
कोई भी देश जब किसी असाधारण दौर से गुज़रता है, उस दौरान जो मसले व ‘कहानियाँ’ निकल कर आते हैं, देश के ‘स्वास्थ्य’ के बारे में, देशवालों की कमज़ोरियों व सामर्थ्य के बारे में बहुत कुछ बता जाते हैं.
जैसा कि 1947 के भारत-पाक विभाजन में हमने जाना. भारत के विभाजन से करोड़ों लोग प्रभावित हुए। डेढ़ से दो करोड़ शरणार्थियों ने अपना घर-बार छोड़कर बहुमत सम्प्रदाय वाले देश में शरण ली, और उस दौरान हुई हिंसा में करीब 10 लाख लोग मारे गए, यह सब जानते हैं.
कोविड भी विभाजन की तरह बिना बताए आया और बहुत कम समय में लाखों प्रियजनों को अपने लपेटे में ले कर चला गया. सरकारी आंकड़ों के अनुसार पिछले दो सालों में कोविड के कारण 5 लाख से अधिक जानें जा चुकी हैं. 24 अप्रैल 2021 को बुलंद शहर में रहने वाले मेरे भाई गुड़गाँव में मेरे भाई के अस्पताल में बुरी हालत में आए. उसी दिन मेरे एक अन्य भाई के साले जिनकी उम्र केवल 35 साल थी इटावा से वैसे ही बुरे हाल में भाई के अस्पताल आए. दोनों को आक्सीजन की ज़रूरत थी. आक्सीजन ही हमारे डॉक्टर भाई इन दोनों को दे नहीं पाए. अस्पताल के दरवाज़े भी कोविड मरीज़ों व हर तरह के मरीज़ों के लिये बंद करने पड़े. 25 अप्रैल 2021 के सम्पूर्ण देश के 2812 कोविड संबंधी मौतों में 2 मौतें तो हमारे घर से ही थीं. इस तरह की स्थिति पूरे देश में ही देखने को मिल रही थी. (लिंक पर सरकारी ग्राफ़ भी देखें)
हम इतने असहाय कैसे हो गए? हमारी आँखों के सामने यमराज के दूत आए और बिना किसी विरोध के प्रियजनों को उठा कर चले गए ...
... तो ई-कल्पना को तलाश है कोविड के दौर के मंटो, यशपाल, भीष्म साहनी व अमृता प्रीतम की. इस साल जून 2023 से दिसम्बर 2023 तक हम कोविड कहानियाँ प्रकाशित करेंगे. ई-कल्पना पत्रिका में प्रकाशित कहानियों को ₹ 2000 मानदेय के तौर पर मिलेगा.
साल अंत पर कहानियों का सम्भावित पेपर-संकलन भी प्रकाशित करेंगे. कृप्या अपनी कहानी ध्यान से व प्रेम से लिखें.
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प्रकाशनाभिलाशी लेखकों के लिये सूचना
1. यदि आपको कहानी प्राप्ति पत्र मिल चुका है, लेकिन स्वीकृति/अस्वीकृति निर्णय पत्र नहीं मिला है, तो कृपया इंतज़ार करें. कहानियाँ लगातार पढ़ी जा रही हैं.
2. मानदेय के विषय में - लेखक के काम का मूल्य होता है, इसलिये हर स्वीकृत कहानी को हम ₹2000 मानदेय के तौर पर देते हैं. हर स्वीकृति पत्र में हम लेखक से प्रकाशन की सूचना अपने मित्रों में सोशल मीडिया के ज़रिये प्रसारित करने की विनती भी करते हैं. इससे, पहले तो लेखक का उत्साह झलकता है, साथ में पत्रिका का भी प्रसार होता है. पत्रिकाओं को पाठकों की ज़रूरत है, यह एक लॉजिकल सच है. अकसर हमने देखा है कि लेखक सोशल मीडिया में सक्रिय होने के बावजूद ई-कल्पना में प्रकाशित अपनी कहानी साझा नहीं करते हैं. इसे हम केवल एक तरह से देखते हैं - कि लेखक ई-कल्पना को बॉयकौट कर रहे हैं. सामान्यतः हम उम्मीद करते हैं कि प्रकाशन के एक हफ्ते के दौरान लेखक कहानी को साझा कर अपना गर्व भी साझा करेंगे. इसलिये हमारे सम्पादक मंडल ने तय किया है कि यदि आप सोशल मीडिया में सक्रिय हैं और ई-कल्पना में प्रकाशित अपनी कहानी को साझा नहीं कर रहे हैं, तो यह आपकी मर्ज़ी है, लेकिन कहानी के मानदेय के वितरण में इसका असर पड़ सकता है.