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ओ पी झा की कहानी
"ताल पाटन"
...कामो के आने से सोमेन का अकेलापन दूर हो जाया करता था। दोनों बैठकर अक्सर बीते दिनों की बातें करके अपनी यादें ताजा करते थे। पिछले कुछ दिनों से अक्सर कामो सोमेन के यहाँ ही खाना खा लेती थी। एक दिन सोमेन ने कहा, ‘‘कामो, क्या हम पहले इस तरह से रह सकते थे?’’
कामो के अंदर की मछुआरिन जाग गई। उसने कहा, ‘‘चाहते तो पहले भी रह सकते थे। सिर्फ साहस ही तो करना था। तुम दिन के उजाले में समाज को देखते रहे और रात के अंधेरे में अंधकार से डरते रहे ...
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